नई दिल्ली, 19 फरवरी। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में चिंतन और मौलिकता जोर देते हुए कहा है कि अगर हमें भारत को फिर से विश्व गुरु बनाना है. तो विज्ञान को कठिन नहीं, सरल बनाना होगा। डॉ. जोशी ने कहा कि हमें विज्ञान और तकनीक जैसे विषयों को आम जीवन के उदारहण से जोड़ना होगा। उन्होंने यह बातें शुक्रवार को सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक, विचारक, स्वतंत्रता सेनानी एवं भारतबोध के संचारक धर्मपाल जी की जन्म शताब्दी के अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) एवं समाजनीति समीक्षण केंद्र, चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम ‘धर्मपाल प्रसंग’ को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों को चाहिए कि वे शिक्षण कार्य में सरल भाषा का प्रयोग करें, ताकि विद्यार्थी आसानी से उसे समझ सकें। प्रत्येक वर्ष शिक्षकों को एक नए तरीके से पढ़ाना चाहिए और उसमें हमेशा नवाचार का समावेश करना चाहिए। तभी हम ‘इंडिया’ को ‘इनोवेटिव इंडिया’ बना पाएंगे। उन्होंने कहा कि धर्मपाल जी ने अपने लेखों और साहित्य के द्वारा युवाओं को प्रबोधन किया। आज समय है कि भारत खुद को समझे। जब हम खुद को समझेंगे, तो विश्व भी भारत को समझेगा।
कार्यक्रम में हावर्ड विश्वविद्यालय में डिविनिटी के प्रोफेसर फ्रांसिस एक्स. क्लूनी, भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नयी दिल्ली के अध्यक्ष राम बहादुर राय, ‘तुगलक’ पत्रिका के संपादक एस. गुरुमूर्ति तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रारूप समिति के सदस्य प्रो. एम. के. श्रीधर ने भी हिस्सा लिया।
इस दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) चेन्नई में प्रोफेसर अशोक झुनझुनवाला, सोसाइटी फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हिमालयाज, मसूरी के संस्थापक निदेशक पवन गुप्ता, विवेकानंद कॉलेज, चेन्नई के सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो. के. वी. वरदराजन, सुप्रसिद्ध इतिहासकार एवं धर्मपाल जी की पुत्री प्रो. गीता धर्मपाल, प्रख्यात योगाचार्य टी. एम. मुकुंदन, आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, समाजनीति समीक्षण केंद्र के निदेशक डॉ. जे. के. बजाज तथा प्रो. एम. डी. श्रीनिवास ने भी कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किए।