‘ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी……..’, नहीं रहीं स्वर कोकिला लता मगेंशकर, दो दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित
मुंबई, 6 फरवरी। अपनी जादुई आवाज के जरिए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाली संगीत की देवी लता मंगेशकर ‘भारत रत्न’ लता मंगेशकर का आज निधन हो गया। 92 वर्षीय लता ताई ने यहां ब्रीच कैंडी अस्पताल में रविवार को पूर्वाह्न 8.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 29 दिनों से वह कोरोना से जंग लड़ रही थीं। देश के कोने-कोने में लता मंगेशकर के जल्द स्वस्थ होने के लिए यज्ञ किए गए, लेकिन फिर भी स्वर कोकिला जिंदगी की जंग जीत न सकीं और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
शिवाजी पार्क में दी जाएगी अंतिम विदाई
सुर साम्राज्ञी’ लता मंगेशकर के निधन पर देश में दो दिनों के लिए राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। इसके तहत राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार लता जी का पार्थिव शरीर सबसे पहले उनके घर ले जाया जाएगा। वहां करीब 12 बजे से तीन बजे तक अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव देह रखा जाएगा। इसके बाद शिवाजी पार्क में शाम करीब 6.30 बजे उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।
कोरोना संक्रमण के चलते 8 जनवरी को अस्पताल में भर्ती किया गया था
गौरतलब है कि स्वर साम्राज्ञी लता जी को गत 8 जनवरी को कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुरुआत में कोरोना के हल्के लक्षण देखे गए थे, लेकिन उम्र और दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए उन्हें आईसीयू में ही रखा गया था। चिकित्सकों को पूरा यकीन था कि लता जी ठीक हो जाएंगी, लेकिन उम्र के मद्देनजर उन्हें चिकित्सकों की निरंतर निगरानी में रखा गया था।
गत 27 जनवरी को परिवार की ओर से ट्विटर पर साझा किए अपडेट में बताया गया था कि लता दीदी आईसीयू में हैं। उन्हें वेंटिलेटर से हटाने का ट्रायल दिया गया है। 29 जनवरी को डॉ. समदानी ने जानकारी थी कि लता जी की तबीयत में हल्का-सा सुधार हो रहा है और उन्हें वेंटिलेटर के हटाया गया था, मगर आईसीयू में ही चिकित्सकों की निगरानी में थीं। इसके पहले लता मंगेशकर को सितंबर, 2019 में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जब उन्हें सांस लेने में तकलीफ की शिकायत हुई थी। उस समय उन्हें वायरल चेस्ट इन्फेक्शन से पीड़ित थीं।
2001 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया था
8 सितम्बर, 1929 को इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर (मूल नाम – हेमा हरिदकर) ने लगभग सात दशक के अपने दैदीप्यमान करिअर में ‘अजीब दास्तां है ये’, ‘प्यार किया तो डरना क्या’, ‘नीला आसमां सो गया’ और ‘‘तेरे लिए’ जैसे हजारों मधुर गाने गाकर अपने लाखों-करोड़ों प्रशंसकों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी। उन्हें पद्म भूषण व पद्म विभूषण को बाद 2001 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी नवाजा गया था। इसके पहले उन्हें दादा साहब फाल्के अवार्ड सहित कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके थे।
इस बार बीटिंग द रिट्रीट समारोह में बजाई गई थी ‘ऐ मेरे वतन के लोगों…’ की धुन
गौरतलब है कि इस वर्ष के बीटिंग रिट्रीट समारोह में देश भक्ति से ओतप्रोत गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुन पहली बार गूंजी थी। भारत-चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध के बलिदानियों की याद में कवि प्रदीप के लिखे इस गीत को लता मंगेशकर ने स्वरबद्ध किया था।