1. Home
  2. हिन्दी
  3. महत्वपूर्ण
  4. कहानियां
  5. अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा – कोरोना संक्रमण खत्म होने के लगभग 11 माह बाद भी शरीर में रहती है एंटीबॉडी
अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा – कोरोना संक्रमण खत्म होने के लगभग 11 माह बाद भी शरीर में रहती है एंटीबॉडी

अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा – कोरोना संक्रमण खत्म होने के लगभग 11 माह बाद भी शरीर में रहती है एंटीबॉडी

0
Social Share

वॉशिंगटन, 27 मई। कोरोना वायरस के हल्के मामलों में संक्रमण खत्म होने के लगभग एक वर्ष बाद भी एंटीबॉडी  शरीर में बनी रहती है और यह कहना भी भ्रामक है कि  कोरोना वायरस एंटीबॉडी बहुत जल्‍द खत्‍म हो जाती है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्‍कूल ऑफ मेडिसिन के एक ताजा शोध में यह निष्कर्ष सामने आया है।

शोधकर्ताओं के अनुसार उनकी जांच यह बताती है कि बोन मैरो में मौजूद इम्‍यून सेल्‍स अब भी एंटीबॉडी बना रहे हैं जबकि खून के अंदर उनका स्‍तर गिर गया है। शोध के परिणामों से पता चला है कि कोरोना से पीड़ित रहे मरीजों में इस वायरस को बेअसर करने वाली एंटीबॉडी सात से 11 माह बाद भी मौजूद है। शोध टीम का यह भी कहना है कि इस एंटीबॉडी से जीवनभर सुरक्षा मिल सकती है।

  • संक्रमण के बाद एंटीबॉडी का नीचे गिरना सामान्‍य बात

शोध टीम के वरिष्‍ठ लेखक डॉक्‍टर अली इल्‍लेबेडी ने कहा, ‘पहले ऐसी रिपोर्ट आई थी कि एंटीबॉडी संक्रमण के कुछ दिनों बाद ही खत्‍म हो जाती है और मुख्‍यधारा की मीडिया ने इसका मतलब यह निकाल लिया कि रोग प्रतिरोधक क्षमता लंबे समय तक नहीं रहती है। लेकिन यह आंकड़ों की गलत व्‍याख्‍या थी। गंभीर संक्रमण के बाद एंटीबॉडी के स्तर का नीचे जाना सामान्‍य बात है, लेकिन यह शून्‍य के स्‍तर तक नहीं पहुंच जाता है बल्कि एंटीबॉडी स्थिर हो जाती है।

  • कोशिकाएं व्‍यक्ति के शरीर में जीवनभर एंटीबॉडी बनाती रहेंगी

प्रोफेसर इल्‍लेबेडी ने कहा, ‘हमने शोध में पाया कि एंटीबॉडी बनाने वालीं कोशिकाएं मरीज के अंदर पहली बार लक्षण आने के 11 महीने बाद तक बनी रहती हैं। ये कोशिकाएं जिंदा रहेंगी और व्‍यक्ति के शरीर में जीवनभर एंटीबॉडी बनाती रहेंगी। यह लंबे समय तक इम्‍युनिटी के बने रहने का मजबूत साक्ष्‍य है। संक्रमण के दौरान कम समय तक जिंदा रहने वाली इम्‍यून कोशिकाएं तेजी से बनती हैं ताकि शुरुआती दौर की सुरक्षा देने वाली एंटीबॉडी शरीर में आ सके।’

जर्नल नेचर में प्रकाशित इस शोध में ऐसे 77 लोगों को शामिल किया गया, जिनमें माइल्‍ड संक्रमण था। इनमें से केवल छह लोगों को ही अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। वॉलंटियर्स ने प्रत्‍येक तीन महीने पर अपने रक्त के नमूने दिए। शोध में पाया गया कि हालांकि एंटीबॉडी का स्‍तर संक्रमण के पहले कुछ महीनों में गिर गया, लेकिन वह खत्‍म नहीं हुआ। इन मरीजों में 11 माह बाद भी एंटीबॉडी पाई गई।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code