अहमदाबाद में 7 जुलाई को निकाली जाएगी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, 18,784 पुलिसकर्मी होंगे तैनात
अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद में सात जुलाई को भगवान जगन्नाथ की 147वीं वार्षिक रथ यात्रा निकाली जाएगी, जिसके लिए यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि वार्षिक रथ यात्रा के लिए सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं और 18,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाएगा।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नियंत्रण कक्ष से जुड़े 1,733 ‘बॉडी-वॉर्न कैमरा’ का उपयोग करके रथ यात्रा पर कड़ी नजर रखेंगे। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में बुधवार को बताया गया कि यात्रा के मार्ग पर 47 स्थानों पर 20 ड्रोन और 96 निगरानी कैमरे लगाए गए हैं। इसमें बताया गया कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पूरे रास्ते पर दुकानदारों द्वारा लगाए गए लगभग 1,400 सीसीटीवी कैमरों का भी निगरानी के लिए उपयोग किया जाएगा।
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने बुधवार को इस बड़े धार्मिक आयोजन के संबंध में एक बैठक की और सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की। इस बैठक में राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी और पुलिस महानिदेशक विकास सहाय सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद थे।
अहमदाबाद के पुलिस आयुक्त जीएस मलिक ने बैठक के दौरान विभिन्न सुरक्षा इंतजामों के बारे में जानकारी साझा की। मलिक ने मुख्यमंत्री को बताया कि भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा के लिए अहमदाबाद के 16 किलोमीटर के मार्ग पर पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) रैंक के अधिकारियों सहित 18,784 सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे।
बताया गया कि इनमें से 4,500 जवान जुलूस के साथ-साथ चलेंगे, जबकि 1,931 जवानों को यातायात प्रबंधन के लिए तैनात किया जाएगा। किसी भी आपात चिकित्सा स्थिति से निपटने के लिए पांच सरकारी अस्पतालों में 16 एंबुलेन्स तैयार रहेंगी। साथ ही नागरिकों की मदद करने के लिए 17 ‘हेल्प डेस्क’ होंगे।
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की परंपरा दशकों से चली आ रही है। जमालपुर में स्थित 400 साल पुराने भगवान जगन्नाथ मंदिर से सुबह करीब सात बजे रथ यात्रा शुरू होगी और शहर के विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए रात आठ बजे तक वापस लौटेगी।
इस धार्मिक यात्रा में आम तौर पर 18 सुसज्जित हाथी, 100 ट्रक और 30 ‘अखाड़ों’ (स्थानीय व्यायामशालाओं) के लोग शामिल होते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों को प्राचीन परंपरा के अनुसार खलासी समुदाय के लोग खींचेंगे। भगवान की एक झलक पाने के लिए सड़क के दोनों ओर बड़ी संख्या में श्रद्धालु खड़े रहते हैं।