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योगी सरकार का यूपी में पुरानी पेंशन लागू करने से इनकार, सपा सदस्यों का सदन से वॉकआउट

योगी सरकार का यूपी में पुरानी पेंशन लागू करने से इनकार, सपा सदस्यों का सदन से वॉकआउट

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लखनऊ, 9 अगस्त। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने से साफ इनकार कर दिया है। यूपी विधानसभा में मॉनसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा फिर से उठने पर वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने जैसे सरकार निर्णाय सुनाया, विपक्षी दल भड़क उठे और सपा के सदस्य तो सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर ही चले गए।

देखा जाए तो यह मामला अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकारों के लिए हर राज्य में संकट खड़ा करने लगा है। हिमाचल प्रदेश की सरकार में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन बहाली का समर्थन कर भाजपा को सत्ता से बाहर करने में सफलता पा ली। इसी क्रम में समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी आज विधानसभा में इस मामले को उठा दिया। इस पर योगी सरकार में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने दो टूक शब्दों में सूबे के 20 लाख से अधिक राज्य कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने से इनकार कर दिया।

सपा विधायकों ने प्रश्नकाल में उठाया पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा

विधानसभा में पुरानी पेंशन बहाली का मसाला प्रश्नकाल में सपा के अनिल प्रधान और पंकज मालिक द्वारा उठाया गया। इन विधायकों ने सरकार के यह जानना चाहा की क्या प्रदेश सरकार राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन लागू करेगी? अनिल प्रधान का कहना था की नई पेंशन स्कीम सरकारी कर्मचारियों के हित में नहीं हैं। अधिकतर सरकारी कर्मचारी चाहते हैं कि सूबे की सरकार पुरानी पेंशन योजना को लागू करे।

वहीं सपा विधायक जय प्रकाश अंचल का कहना था कि जो कर्मचारी एक लाख से 80 हजार रुपये तनख्वाह पा रहे थे, उन्हें नई पेंशन योजना के तहत अब तीन से चार हजार पेंशन मिल रही है। सपा के विधायक पंकज मालिक ने सदन में मुजफ्फरनगर के रामदास नाम के एक रिटायर कर्मचारी का उल्लेख करते हुए कहा कि रामदास 80 हजार रुपये वेतन पा रहे थे, अब उन्हे 3200 रुपये पेंशन मिल रही है। ऐसे ही हजारों रिटायर कर्मी कुछ हजार रुपये पेंशन पा रहे है। यह देखते हुए अब राज्य कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं।

सपा विधायकों के सवाल पर वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने साफ शब्दों में कहा कि प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाल नहीं होगी। फिर उन्होंने पुरानी पेंशन को लेकर सपा नेताओं को घेरते हुए कहा कि जब यह पेंशन लागू हुई थी, तब एक अप्रैल, 2005 को राज्य में सपा की सरकार थी। इसके बाद बीते लोकसभा चुनावों के पहले वर्ष 2019 में कर्मचारी संगठनों के साथ योगी सरकार की वार्ता हुई थी, तब कर्मचारी संगठनों ने कहा था कि पेंशन योजना ऐसी हो ताकि कर्मचारियों को कम से कम आठ फीसदी ब्याज मिल जाए। अब नई पेंशन में कर्मचारियों को 9.32 फीसद ब्याज मिल रहा है।

यह दावा करते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि कर्मचारियों की पेंशन और वेतन में सरकार का 59.4 फीसद खर्च हो रहा है, जिसके चलते विकास कार्यों के लिए ज्यादा धन मुहैया कराने में सरकार को दिक्कतें आती है। फिलहाल सरकार का पुरानी पेंशन बहाली का कोई विचार नहीं है। वित्त मंत्री के इस बयान से असंतुष्ट होकर सपा के सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन का वॉकआउट कर दिया।

भाजपा को भुगतना पड़ सकता है 20 लाख राज्य कर्मचारियों की नाराजगी का खामियाजा

इस बीच सदन में हुए एलान पर कर्मचारी संगठनों ने नाराजगी जताई और कहा है आगामी लोकसभा चुनावों में पुरानी पेंशन बहाल करने का समर्थन करने वाले राजनीतिक दल को राज्य कर्मचारियों का हर कदम पर साथ मिलेगा। कहा जा रहा है राज्य कर्मचारियों की नाराजगी का खामियाजा भाजपा के प्रत्याशियों को भुगतना पड़ सकता है।

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