जब शर्मनाक हार पर भड़क उठे थे बिशन सिंह बेदी – ‘भारतीय टीम को प्रशांत महासागर में डुबो देना चाहिए…’
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर। बिशन सिंह बेदी भले ही स्पिनर थे, लेकिन उनके तेवर तेज गेंदबाजों वाले थे जबकि छवि किसी स्टार बल्लेबाज की तरह थी। उनके अंदर छल-कपट नहीं था और उन्हें हमेशा ही अपनी बातों को मुखर तरीके से रखने के लिए जाना जाता रहा। यही वजह है कि दिल्ली की क्रिकेट हो या किसी भारतीय खिलाड़ी का प्रदर्शन, जब भी किसी बारे में उनसे पूछा गया तो उन्होंने सपाट जवाब दिया। कई बार उनकी साफ सुथरी बातें चुभ भी जाती थीं।
1990 के न्यूजीलैंड दौरे में टीम मैनेजर थे बिशन पाजी
ऐसा ही एक वाकया 1990 की है, जब बिशन पाजी टीम इंडिया के मैनेजर थे। भारत और न्यूजीलैंड के बीच टेस्ट सीरीज पर उन्होंने एक ऐसा बयान दिया था, जो उस वक्त अखबार की सुर्खियों में छाया रहा। टीम के दयनीय प्रदर्शन से वह बहुत नाराज हुए और यहां तक कह डाला कि इस भारतीय टीम को प्रशांत महासागर में डुबो देना चाहिए। आज भी जब भारतीय टीम न्यूजीलैंड दौरे पर जाती है तो उस सीरीज की चर्चा होती है और बिशन सिंह बेदी का बयान याद आ जाता है।
क्राइस्टचर्च टेस्ट 10 विकेट से गंवा बैठी थी भारतीय टीम
दरअसल, भारतीय टीम को न्यूजीलैंड दौरे पर तीन टेस्ट खेलने थे। सीरीज का पहला मैच क्राइस्टचर्च में खेला गया था। यह मैच कीवी टीम ने 10 विकेट से जीता था। पहली पारी में जॉन राइट ने 185 रनों की धमाकेदार पारी खेली थी जबकि न्यूजीलैंड ने 459 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। भारत की पहली पारी 164 रनों पर ढेर हो गई थी। नवजोत सिंह सिद्धू ने 51 और कप्तान अजहरुद्दीन ने 48 रनों की पारी खेली थी। कीवी टीम ने फॉलोऑन खिलाने का फैसला किया और भारतीय टीम ने 296 रन बनाए, लेकिन न्यूजीलैंड को सिर्फ 2 रनों का लक्ष्य मिला, जिसे उसने 10 विकेट से हासिल कर लिया।
सीरीज में टीम के खराब प्रदर्शन से नाराज हो उठे थे बेदी
सीरीज के अन्य दो मैचों में भी भारतीय टीम न्यूजीलैंड के आगे संघर्ष करती नजर आई। हालांकि, किसी तरह दोनों मैच ड्रॉ करवाने में नाकाम रही। इस दौरे पर भारत ने न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के साथ त्रिकोणीय सीरीज में तीन मैच खेले और एक में जीत हासिल की। टीम मैनेजर बिशन सिंह बेदी से जब टीम इंडिया के प्रदर्शन को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने झिड़कते हुए कहा – देश लौटते समय भारतीय टीम को प्रशांत महासागर में डुबो देना चाहिए।
बिशन बेदी का यह बयान उस वक्त भले ही टीम को बुरा लगा हो, लेकिन यह भारत की गरिमा और प्रतिष्ठा का मामला था। टीम इंडिया भारत का प्रतिनिधित्व कर रही थी और उस वक्त इस तरह की शर्मनाक हार को पचा पाना किसी के लिए भी मुश्किल था। टीम में कपिल देव, मनोज प्रभाकर, नवजोत सिंह सिद्धू, मोहम्मद अजहरुद्दीन, सचिन तेंदुलकर और नरेंद्र हिरवानी जैसे धाकड़ खिलाड़ी थे।