यूपी एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मोस्ट वांटेड विनोद उपाध्याय ढेर, बसपा के टिकट पर लड़ा था चुनाव
सुलतानपुर, 5 जनवरी। सुलतानपुर कोतवाली देहात क्षेत्र में शुक्रवार की भोर करीब साढ़े तीन बजे गोरखपुर का मोस्ट वांटेड विनोद उपाध्याय को एसटीएफ ने घेरकार एनकाउंटर में मार गिराया। विनोद ने पुलिस टीम पर कई राउंड फायरिंग की। जवाब ने एसटीएफ ने भी फायर किए। इसमें विनोद को गोली लग गई। एसटीएफ उसे अस्पताल लेकर आई। वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। विनोद उपाध्याय पर एक लाख रुपए का इनाम था। करीब सात महीने से एसटीएफ, गोरखपुर क्राइम ब्रांच और पुलिस उसकी तलाश कर रही थी।
विनोद के पास से एसटीएफ ने चाइनीज पिस्टल-30 बोर, स्टेन गन 9 एमएम फैक्ट्री मेड, जिंदा कारतूस और स्विफ्ट कार बरामद की है। विनोद का मुख्य काम रंगदारी मांगना, जमीन कब्जा करना, ठेकेदारी और सूद पर पैसा देना था। बताया जाता है कि जिस दौरान मुठभेड़ हुई उस समय वह कार से प्रयागराज जा रहा था।
विनोद उपाध्याय पर 35 से अधिक गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। विनोद उपाध्याय कितना शातिर क्रिमिनल था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसे पहली हत्या सिर्फ एक थप्पड़ के लिए की थी। तभी से वह चर्चा में आया था। यूपी सरकार द्वारा जारी टॉप-61 माफिया और बदमाशों की सूची में भी वह शामिल था।
- एक थप्पड़ के बदले हत्या कर चर्चा में आया था विनोद
2004 में गोरखपुर जेल में बंद रहने के दौरान नेपाल के अपराधी जीत नारायण मिश्र ने विनोद को एक थप्पड़ मारा था। जिसके बाद 7 अगस्त 2005 को संतकबीर नगर में विनोद ने जीत नारायण की हत्या कर थप्पड़ का बदला लिया था। इस घटनाक्रम में जीत नारायण का बहनोई गोरेलाल भी मारा गया था। इसके अलावा गोरखपुर में हिंदू युवा वाहिनी के नेता सुशील सिंह को अगवा कर पीटने का भी आरोप विनोद पर था।
- गोरखपुर शहर से बसपा के टिकट पर लड़ा था विधानसभा चुनाव
जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद विनोद उपाध्याय ने 2007 में गोरखपुर शहर से बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि उसे जीत नहीं मिली थी। इसके बाद 2007 में लखनऊ के हजरतगंज थाने में उसके ऊपर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज हुआ था।