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श्रीराम मंदिर के लिए जमीन खरीद में घोटाले के आरोपों से विहिप नाराज, मानहानि का केस करने पर विचार

श्रीराम मंदिर के लिए जमीन खरीद में घोटाले के आरोपों से विहिप नाराज, मानहानि का केस करने पर विचार

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नई दिल्ली, 15 जून। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर के लिए जमीनों की खरीद में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर लगाए गए भ्रष्टाचार व घोटाले के आरोपों पर नाराजगी जाहिर की है और जिन लोगों ने ऐसे आरोप लगाए हैं, उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने पर विचार कर रही है।

गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी (आप) सांसद संजय सिंह और अयोध्या के पूर्व विधायक व समाजवादी पार्टी नेता पवन पांडे ने आरोप लगाए हैं कि ट्रस्ट ने श्रीराम मंदिर के लिए जमीनों की खरीद में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार व घोटाला किया है। दोनों नेताओं ने सीबीआई और ईडी से इस मामले की जांच कराने की मांग भी की है।

इस बार माफी मांगने पर भी नहीं छोड़ेंगे

विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने सोमवार को कहा, ‘हम इस पर विचार कर रहे हैं कि मानहानि का दावा करें। इस बार उन्हें माफी मांगने पर न छोड़ें और इस केस को इसकी परिणति तक ले कर जाएं।’

उधर अयोध्या में विहिप के एक नेता ने बताया कि जमीन खरीद में सारा लेन देन बैंकों के जरिए हुआ है और नकदी के लेन देन का कोई आरोप नहीं है। उन्होंने कहा कि इस जमीन के मालिक कुसुम पाठक और हरीश पाठक हैं, जिन्होंने काफी पहले सुल्तान अंसारी आदि के पक्ष में अग्रीमेंट टू सेल किया था। वह पंजीकृत हुआ और उसमें जमीन का स्वीकृत मूल्य उस वक्त के बाजार भाव से दो करोड़ रुपये था।

उन्होंने कहा कि यह जमीन अयोध्या रेलवे स्टेशन के पास है और बहुत उपयोगी है। तीर्थ क्षेत्र ने इस जमीन को लेने के लिए कुसुम पाठक, सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी से बात की। इसे न तो पाठक अकेले बेच सकते थे और न ही तिवारी। सहमति यह बनी कि अग्रीमेंट टू सेल के अनुसार कुसुम पाठक इसको सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी को बेच दें। इसलिए यह सौदा अग्रीमेंट टू सेल में दिए गए मूल्य के अनुसार दो करोड़ रुपये में हुआ।

इसलिए 18.5 करोड़ में किया गया जमीन का सौदा

विहिप नेता के अनुसार ट्रस्ट ने इसके मौजूदा बाजार भाव का पता लगाया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर बनने और यूपी सरकार के नई अयोध्या की चर्चा से जमीन के भाव बहुत बढ़ गए थे। ट्रस्ट ने यह पाया कि जमीन का भाव अब करीब 20 करोड़ रुपये के आसपास है। इसलिए ट्रस्ट को 18.50 करोड़ रुपये में यह सौदा करना उचित लगा।

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