लखनऊ, 16 मई। उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2020-21 में अध्ययनरत लाखों छात्रों को बिना मुख्य व सेमेस्टर परीक्षा के ही पास कर दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश शासन ने संप्रति कोविड-19 से बिगड़े हालात के मद्देनजर यह फैसला लिया है।
उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव अब्दुल समद की ओर से जारी आदेश के तहत प्रदेश शासन ने छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नत किए जाने का मानक तय करने के लिए तीन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की एक समिति गठित की है। कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
- तीन विश्वविद्यालयों के कुलपति तय करेंगे मानक
विभागीय आदेश के अनुसार समिति में लखनऊ विवि के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय, छत्रपति शाहू जी महाराज विवि कानपुर के कुलपति प्रो. विनय पाठक और महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विवि बरेली के कुलपति प्रो. कृष्णपाल सिंह शामिल हैं। कमेटी एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर की तरह दूसरी लहर ने भी शैक्षणिक सत्र 2020-2021 को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसका प्रभाव शैक्षणिक कार्यों के साथ परीक्षाओं पर भी पड़ा है। ऑनलाइन क्लासेज के जरिए कुछ हद तक शैक्षणिक कार्य हुआ भी, लेकिन परीक्षाएं नहीं हो सकी हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय में ही अधिकतर परीक्षाएं होनी बाकी हैं। कोरोना की पहली लहर कमजोर पड़ने के बाद कुछ विश्वविद्यालयों ने कुछ कक्षाओं की परीक्षाएं आयोजित कर ली थीं, लेकिन ज्यादातर परीक्षाएं शेष रह गई हैं।
रिपोर्ट के अनुसार विश्वविद्यालयों के सामने सबसे बड़ी समस्या वार्षिक परीक्षाओं को लेकर है। इस प्रणाली में छात्रों के मूल्यांकन का कोई अन्य विकल्प नहीं है। सेमेस्टर प्रणाली में पूर्व में हो चुकी एक या दो सेमेस्टर की परीक्षाओं में परफॉर्मेंस के आधार पर छात्रों को प्रोन्नत किया जा सकता है। लेकिन वार्षिक परीक्षा प्रणाली में छात्रों का मूल्यांकन सिर्फ एक ही बार होता है।