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देश के वित्तीय समावेशन में UPI की बड़ी भूमिका, डिजिटल लेनदेन में हिस्सेदारी बढ़कर 84 फीसदी हुई

देश के वित्तीय समावेशन में UPI की बड़ी भूमिका, डिजिटल लेनदेन में हिस्सेदारी बढ़कर 84 फीसदी हुई

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नई दिल्ली, 22 फरवरी। भारत में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) डिजिटल लेनदेन और वित्तीय समावेशन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा रहा है। वित्त वर्ष 2024 में किए गए हर पांच में से चार डिजिटल लेनदेन यूपीआई के माध्यम से हुए, जिससे इसकी हिस्सेदारी 84 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

फिनटेक कंसल्टिंग और एडवाइजरी फर्म ‘द डिजिटल फिफ्थ’ की रिपोर्ट के अनुसार UPI सिर्फ एक भुगतान प्रणाली (पेमेंट सिस्टम) नहीं है, बल्कि यह भारत के लिए एक संपूर्ण डिजिटल इकोसिस्टम के रूप में कार्य कर रहा है।

यूपीआई हर माह 16 अरब से अधिक लेनदेन संभाल रहा

फर्म के संस्थापक और सीईओ समीर सिंह जैनी के अनुसार यूपीआई हर माह 16 अरब से अधिक लेनदेन संभाल रहा है और 2030 तक यह तीन गुना बढ़ने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि रियल-टाइम धोखाधड़ी का पता लगाना, क्लाउड-नेटिव तकनीक और मजबूत डिजिटल सुरक्षा व्यवस्था अब जरूरी हो गई है ताकि डिजिटल पेमेंट सिस्टम सुरक्षित और निर्बाध रूप से काम कर सके।

2024 में यूपीआई के जरिए 17,221 करोड़ लेनदेन किए गए

2018 में यूपीआई के जरिए कुल 375 करोड़ लेनदेन किए गए थे जबकि 2024 में यह संख्या 17,221 करोड़ तक पहुंच गई। लेनदेन का कुल मूल्य भी 2018 में 5.86 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 246.83 लाख करोड़ रुपये हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार 2019 में भारत के डिजिटल भुगतान में यूपीआई की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत थी जो 2024 में 83 प्रतिशत से भी अधिक हो गई है। यह बढ़त कार्ड और वॉलेट आधारित लेनदेन की तुलना में काफी तेज रही है।

व्यापारियों के बीच भी यूपीआई की लोकप्रियता बढ़ी

देश में तीन करोड़ से अधिक व्यापारी (मर्चेंट्स) यूपीआई से जुड़े हुए हैं और मर्चेंट-टू-कस्टमर (M2C) लेनदेन 67 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ रहा है। यह पीयर-टू-पीयर (P2P) लेनदेन से अधिक तेजी से आगे बढ़ रहा है। यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता और डिजिटल भुगतान में इसकी मजबूत पकड़ दिखाती है कि भारत तेजी से कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। आने वाले वर्षों में यूपीआई डिजिटल ट्रांजैक्शन का सबसे बड़ा माध्यम बना रहेगा।

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