उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार विधान परिषद से भी दिया इस्तीफा, कहा – ‘चक्रव्यूह’ से बाहर आ जाने की सुखद अनुभूति
पटना, 24 फरवरी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से बगावत कर कुछ दिनों पहले ही नई पार्टी बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने शुक्रवार को जदयू से रिश्ते की अंतिम डोर भी तोड़ डाली और बिहार विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशवाहा ने दोपहर तीन बजे बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा।
‘मैं जमीर बेचकर कभी अमीर बन नहीं बन सकता‘
दरअसल, पिछले कई दिनों से सभापति देवेश चंद्र ठाकुर पटना से बाहर थे। विधान परिषद से इस्तीफा देने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, ‘मैं जमीर बेचकर कभी अमीर बन नहीं बन सकता। इसीलिए मैंने तत्काल ही पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि उनपर कई तरह के बेबुनियाद आरोप लगाए गए। उन आरोपों का जवाब उन्होंने आज दे दिया है।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, ‘मुझे किसी भी तरह के पद का लालच नहीं है। जिस पद पर रहकर मैं जनता का काम नहीं कर सकता, उस पद पर रहने का मुझे कोई अधिकार नहीं। अब मैंने सदन को छोड़कर सड़क पर उतरने का फैसला किया है।’
‘मेरा नीतीश के खिलाफ राजनीतिक संघर्ष जारी रहेगा‘
कुशवाहा ने संस्कृत श्लोक के जरिए मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा, “मुख्यमंत्री जी, ‘त्वदीयं वस्तु तुभ्यमेव समर्पये।’ आज मैंने विधान परिषद् की सदस्यता से इस्तीफा सौंप दिया। आज हम सदन को छोड़कर सड़क पर आ गए हैं और जिन सिद्धातों को लेकर राजनीति कर रहे हैं, उसे आगे बढ़ाना है।”
उन्होंने कहा, ‘अब मेरा नीतीश के खिलाफ राजनीतिक संघर्ष जारी रहेगा। बिहार के हित में मैंने नई पार्टी गठित की है। चक्रव्यूह से बाहर आ जाने की सुखद अनुभूति हो रही है। याचना का परित्याग कर रण के रास्ते पर निकल पड़ा हूं।’
गौरतलब है कि उपेंद्र कुशवाहा 17 मार्च, 2021 को विधान परिषद में राज्यपाल की ओर से नामित किए गए थे। उनका कार्यकाल 16 मार्च, 2027 तक था। वहीं बिहार विधान परिषद के सभापति दिनेश चंद्र ठाकुर ने बताया कि उपेंद्र कुशवाहा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। आज से परिषद में एक पद रिक्त हो गया है।