यूपी सरकार अगले 25 वर्षों के लिए निजी थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट से सस्ती दरों पर खरीदेगी 1500 मेगावाट बिजली
लखनऊ, 6 मई। उत्तर प्रदेश सरकार ने आगामी 25 वर्षों के लिए एक निजी थर्मल पावर प्रोजेक्ट से सस्ती दरों पर 1500 मेगावाट बिजली खरीदने का निर्णय लिया है। परियोजना के लिए सबसे कम दर (5.38 रुपये प्रति यूनिट) की बोली लगाने वाली निजी कम्पनी को यह अनुबंध दिया गया है।
25 वर्षों में कुल 2958 करोड़ रुपये की बचत होगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला मंगलवार को लिया गया। सरकार के अनुसार, इससे उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) को 25 वर्षों में कुल 2958 करोड़ रुपये की बचत होगी। यह बिजली राज्य को वित्तीय वर्ष 2030-31 से मिलनी शुरू होगी।
नई परियोजना से बिजली 6.10 रुपये प्रति यूनिट की दर पर उपलब्ध होगी
बिजली दर की तुलना करें तो राज्य की जवाहरपुर, ओबरा, घाटमपुर और पनकी जैसी मौजूदा थर्मल परियोजनाओं में बिजली की दरें 6.6 रुपये से लेकर नौ रुपये प्रति यूनिट तक हैं जबकि इस नई परियोजना से बिजली 6.10 रुपये प्रति यूनिट की दर पर उपलब्ध होगी, जो कहीं अधिक किफायती है।
उसी कम्पनी को चुना गया, जो यह परियोजना उत्तर प्रदेश में स्थापित करे
राज्य के ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि इस 1600 मेगावाट संयंत्र के लिए केवल उसी कम्पनी को चुना गया, जो यह परियोजना उत्तर प्रदेश में स्थापित करे। जुलाई, 2024 में ‘रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन’ जारी की गई थी, जिसमें 7 कम्पनियों ने भाग लिया और आगे की प्रक्रिया में पांच कम्पनियों ने फाइनेंशियल बिड दाखिल की।
ए.के. शर्मा ने बताया कि सबसे कम बोली लगाने वाली कम्पनी ने 5.38 रुपये प्रति यूनिट की दर प्रस्तावित की, जिसमें 3.727 रुपये प्रति यूनिट फिक्स चार्ज और 1.656 रुपये प्रति यूनिट फ्यूल चार्ज शामिल हैं। इसी दर पर 25 साल के लिए पावर सप्लाई एग्रीमेंट (PSA) किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह समझौता न केवल महाराष्ट्र सरकार के साथ हुई डील से सस्ता है बल्कि यूपी के पहले के सभी बड़े बिजली समझौतों से भी किफायती है। यह बिजली न सिर्फ उद्योगों के लिए, बल्कि आम लोगों के लिए भी किफायती और स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करेगी।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) और उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) के मुताबिक, वर्ष 2033-34 तक राज्य को 10,795 मेगावाट अतिरिक्त थर्मल ऊर्जा की आवश्यकता होगी। साथ ही 23,500 मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी के लिए भी रोडमैप तैयार है। यह परियोजना DBFOO मॉडल पर आधारित होगी, जिसका मतलब : Design, Build, Finance, Own and Operate है। इसमें निजी कंपनी संयंत्र का निर्माण, संचालन और वित्तपोषण स्वयं करती है जबकि सरकार सिर्फ कोयले की आपूर्ति और बिजली की खरीद करती है।
