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सुरक्षा बलों का अभूतपूर्व अभियान : नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंडकारण्य में 2 हजार जवानों ने की 105 किमी पैदल यात्रा

सुरक्षा बलों का अभूतपूर्व अभियान : नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंडकारण्य में 2 हजार जवानों ने की 105 किमी पैदल यात्रा

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नागपुर, 21 नवम्बर। महराष्ट्र के नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंडकारण्य के जंगलों में विशेष सी-60 कमांडो ने अभूतपूर्व रणनीतिक युद्धाभ्यास किया। इस क्रम में 24 घंटे से भी कम समय में 2,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों ने महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर माओवादी प्रभुत्व वाले दंडकारण्य जंगलों के सबसे दूर स्थित वांगेतुरी गांव में पांच एकड़ में फैली एक बैलिस्टिक-प्रूफ एमएसी दीवार वाली पुलिस चौकी बनाई। इसका मकसद नक्सल साजो-सामान और लाल गलियारे के एक प्रमुख चौराहे पर गुरिल्लाओं के आपूर्ति मार्ग को नष्ट करना था।

महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर वांगेतुरी गांव में 24 घंटे के भीतर बना दी पुलिस चौकी

यह पूरा अभियान सोमवार, 20 नवम्बर को किया गया। सी-60 कमांडो द्वारा सोमवार का ऐसा रणनीतिक युद्धाभ्यास पहली बार था। सुरक्षा बलों ने घात या गुरिल्ला बूबीट्रैप को रोकने के लिए पैदल 105 किमी का मिशन चलाया और एक संयुक्त अंतर-राज्य अभियान में छत्तीसगढ़ की ओर से महाराष्ट्र में प्रवेश किया।

माओवादियों के गढ़ गढ़चिरौली में वांगेतुरी पुलिस स्टेशन पिपली बुर्गी से सिर्फ 20 किमी दूर है। यह अब तक छत्तीसगढ़ के साथ सीमा पर आखिरी सुरक्षा चौकी थी। हाल ही में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने इसका दौरा किया था। इस पुलिस स्टेशन में एटापल्ली तालुका के 19 ग्रामीण भी शामिल हैं।

दंडकारण्य जंगलों को नक्सलियों का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता

गौरतलब है कि दंडकारण्य जंगलों को नक्सलियों का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। अप्रैल, 2023 में घात लगाकर किए गए एक हमले में इस क्षेत्र में 10 जवान शहीद हो गए थे। छत्तीसगढ़ और आसपास के राज्यों में फैले दंडकारण्य जंगल में नक्सली सबसे ज्यादा मजबूत माने जाते हैं। दंडकारण्य छत्तीसगढ़ के साथ-साथ आंध्र प्रदेश और ओडिशा में भी फैला हुआ है। ये पूरा जंगल 92 हजार वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है।

सुरक्षा बलों ने यह पूरा अभियान इतनी तेजी से इसलिए चलाया ताकि नक्सलियों को कुछ करने का मौका ही नहीं मिले। युद्ध स्तर पर पुलिस चौकी को तेजी से खड़ा करने के लिए कमांडो के साथ कम से कम 500 नागरिक कर्मचारियों को तैनात किया गया था। इसके अलावा सीआरपीएफ जवानों और बम का पता लगाने और निबटान दस्तों की 25 टीमों द्वारा स्वच्छता मिशन में सहायता की गई थी।

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