केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ISS से ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की वापसी पर किया अभिनंदन, ISRO की टीम को दी बधाई
नई दिल्ली, 16 जुलाई। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौटने का अभिनंदन किया। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की हालिया अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) यात्रा की सफलता पर कैबिनेट द्वारा आज एक प्रस्ताव पारित किया गया। कैबिनेट ने शुभांशु की इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की पूरी टीम को हार्दिक बधाई दी और कहा कि उनकी निष्ठा, तपस्या और परिश्रम ने इस सपने को साकार किया।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर 18 दिनों का ऐतिहासिक मिशन पूरा किया। ये मिशन 25 जून 2025 को लॉन्च हुआ था, जिसमें ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला मिशन पायलट के रूप में शामिल हुए। इस मिशन के जरिए पहली बार कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर गया। ये भारत के स्पेस प्रोग्राम का एक नया अध्याय है। ये अन्तरिक्ष में भारत की एक बड़ी उड़ान है, एवं हमारे स्पेस प्रोग्राम के भविष्य की स्वर्णिम झलक देता है।’
Today, the #UnionCabinet passed a resolution on the return of Group Captain Shubhanshu Shukla from the International Space Station (ISS)
This is an occasion of immense pride, glory, and joy for the entire nation. The Union Cabinet, along with the nation, congratulates Group… pic.twitter.com/EpweGzd6AQ
— PIB India (@PIB_India) July 16, 2025
अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘भारत आने वाले समय में गगनयान मिशन के जरिए और भी बड़े लक्ष्यों की ओर देख रहा है। हमने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का संकल्प भी लिया है। शुभांशु शुक्ला के मिशन की इस सफलता ने भारत को अपने इन लक्ष्यों के एक कदम और करीब पहुंचा दिया है। भारत अब मानव अंतरिक्ष मिशन की बड़ी शक्तियों में से एक बनने की ओर अग्रसर है। मंत्रिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजनरी और निर्णायक नेतृत्व की सराहना करता है। उनकी दूरदृष्टि, भारत की स्पेस क्षमताओं पर उनके अटल विश्वास और उनके मार्गदर्शन ने भारत को इस मुकाम तक पहुंचाया है।’
वैष्णव ने कहा ISS पर रहते हुए ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने Axiom-4 क्रू और Expedition 73 के सदस्यों के साथ मिलकर अनेक प्रयोग किए। ये इंटरनेशनल स्पेस कोऑपरेशन में भारत की बढ़ती लीडरशिप भूमिका का प्रमाण है। उन्होंने माइक्रोग्रैविटी से जुड़े कई प्रयोग किए। Muscle regeneration, शैवाल एवं सूक्ष्मजीवों की ग्रोथ और अंतरिक्ष में फसलों की क्षमता से जुड़े वैज्ञानिक अनुसंधान इसमें शामिल थे। इस मिशन में माइक्रोब्स के जीवन की संभावनाएं और इंसान की सोचने-समझने की क्षमता पर अंतरिक्ष के असर का अध्ययन भी हुआ। सायनोबैक्टीरिया जैसे जीवों के व्यवहार जैसे कई अहम विषयों पर काम किया गया। इन प्रयोगों से अंतरिक्ष में मानव जीवन को लेकर समझ और गहरी होगी, माइक्रोग्रैविटी साइंस में हम आगे बढ़ेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘भारत आने वाले समय में गगनयान मिशन के जरिए और भी बड़े लक्ष्यों की ओर देख रहा है। हमने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का संकल्प भी लिया है। शुभांशु शुक्ला के मिशन की इस सफलता ने भारत को अपने इन लक्ष्यों के एक कदम और करीब पहुंचा दिया है। भारत अब मानव अंतरिक्ष मिशन की बड़ी शक्तियों में से एक बनने की ओर अग्रसर है। मंत्रिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजनरी और निर्णायक नेतृत्व की सराहना करता है। उनकी दूरदृष्टि, भारत की स्पेस क्षमताओं पर उनके अटल विश्वास और उनके मार्गदर्शन ने भारत को इस मुकाम तक पहुंचाया है।’
उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात पर गर्व है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अनेक ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक लैंडिंग की थी। इस दिन को अब नेशनल स्पेस डे के रूप में मनाया जाता है। इसी तरह, आदित्य-L1 मिशन ने सूर्य के रहस्यों को समझने में नई दिशा दी है। ये उपलब्धियां भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा और आत्मनिर्भरता का प्रमाण हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने स्पेस सेक्टर में जो सुधार किए हैं, उससे भारत की स्पेस इकॉनॉमी को अभूतपूर्व गति मिली है। इस सेक्टर में करीब 300 नए स्टार्टअप्स उभरे हैं। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन हुआ है। साथ ही इनोवेशन, एंटरप्रेन्योरशिप और technology-driven development का नया इकोसिस्टम तैयार हुआ है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का मिशन सिर्फ एक व्यक्ति की सफलता नहीं है, ये भारत की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा की मिसाल है। इससे हमारे बच्चों और युवाओं में जिज्ञासा बढ़ेगी, वैज्ञानिक सोच विकसित होगी। इससे प्रभावित होकर बड़ी संख्या में युवा साइंस और इनोवेशन को अपना करियर बनाएंगे।
