उद्धव सेना ने स्टालिन के भाषा संबंधी रुख से दूरी बनाई, कहा – ‘हम हिन्दी विरोधी नहीं हैं’
मुंबई, 6 जुलाई। महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक से पांचवीं कक्षा तक हिन्दी को तीसरी भाषा के रूप में वापस लाने के फैसले पर अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए चचेरे ठाकरे बंधुओं – उद्धव और राज द्वारा एकजुटता प्रदर्शित करने के एक दिन बाद उद्धव सेना ने रविवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के समर्थन को कमतर आंकते हुए कहा है कि हिन्दी के प्रति उनका विरोध केवल प्राथमिक विद्यालयों में इसे शामिल करने तक ही सीमित है।
राउत बोले – ‘हमारा विरोध सिर्फ प्राथमिक स्कूलों में इसे शामिल करने तक ही सीमित’
शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने कहा, ‘हिन्दी थोपे जाने के खिलाफ उनके (स्टालिन) रुख का मतलब है कि वे हिन्दी नहीं बोलेंगे और न ही किसी को हिन्दी बोलने देंगे। लेकिन महाराष्ट्र में हमारा रुख ऐसा नहीं है। हम हिन्दी बोलते हैं… हमारा रुख यह है कि प्राथमिक विद्यालयों में हिन्दी के लिए सख्ती बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हमारी लड़ाई यहीं तक सीमित है।’ यह स्पष्ट करते हुए कि ठाकरे बंधुओं का रुख केवल प्राथमिक विद्यालयों में हिन्दी थोपे जाने के खिलाफ है, राउत ने स्टालिन को उनकी लड़ाई में शुभकामनाएं दीं, साथ ही एक सीमा भी खींची।
‘हमने किसी को हिन्दी में बोलने से नहीं रोका है’
संजय राउत ने कहा, ‘हमने किसी को हिन्दी में बोलने से नहीं रोका है, क्योंकि हमारे यहां हिन्दी फिल्में, हिन्दी थिएटर और हिन्दी संगीत है… हमारी लड़ाई केवल प्राथमिक शिक्षा में हिन्दी थोपे जाने के खिलाफ है।’
स्टालिन ने इस मुद्दे पर चचेचे भाइयों के रुख का स्वागत किया था
उल्लेखनीय है कि लगभग दो दशकों में पहली बार उद्धव और राज ठाकरे के एक ही मंच पर आने के कुछ घंटों बाद, स्टालिन ने, जो राज्यों पर हिन्दी थोपे जाने के मुद्दे पर केंद्र के साथ विवाद में रहे हैं, इस मुद्दे पर चचेरे भाइयों के रुख का स्वागत किया।
डीएमके नेता स्टालिन ने एक्स पर लिखा, ‘हिन्दी थोपे जाने को हराने के लिए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और तमिलनाडु के लोगों द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी छेड़ा गया भाषा अधिकार संघर्ष अब राज्य की सीमाओं को पार कर चुका है और महाराष्ट्र में विरोध के तूफान की तरह घूम रहा है।’ अलग हुए चचेरे भाइयों के पुनर्मिलन का स्वागत करते हुए स्टालिन ने कहा, ‘हिन्दी थोपे जाने के खिलाफ भाई #उद्धवठाकरे के नेतृत्व में आज मुंबई में आयोजित विजय रैली का उत्साह और शक्तिशाली भाषण हमें अपार उत्साह से भर देता है।’
