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ट्रम्प के सलाहकार नवारो का बड़ा बयान, कहा- ‘ब्राह्मणों’ मिल रहा रूसी तेल का फायदा, सोशल मीडिया पर लोगों ने की खिंचाई

ट्रम्प के सलाहकार नवारो का बड़ा बयान, कहा- ‘ब्राह्मणों’ मिल रहा रूसी तेल का फायदा, सोशल मीडिया पर लोगों ने की खिंचाई

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वाशिंगटन,2 सितंबर। ट्रम्प सरकार के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत पर कुछ नये शब्द वाण चलाते हुए कहा है कि सस्ते रूसी तेल के इस धंधे में भारत की जनता की कीमत पर लाभ विशेष रूप से “ब्राह्मणों” को हो रहा है।उनकी इस टिप्पणी की सोशल मीडिया में खिंचाई हो रही है।

उन्होंने अमेरिका के एक समाचार चैनल से बातचीत में सोमवार को दोहराया कि रूस से तेल खरीदकर भारत यूक्रेन से लड़ाई के लिए उसका वित्तपोषण कर रहा है।उनके अनुसार, यही कारण है कि अमेरिका ने भारतीय माल पर ऊंचे आयात शुल्क लगाये हैं और संबंधों में तनाव पैदा हुआ है और सोशल मीडिया पर नस्लवाद और विभाजनकारी जातिवादी टिप्पणियों के साथ इसका विरोध हो रहा है।

भारत के अधिकारी अमेरिका के इस तरह के तर्कों को काल्पनिक और समय के हिसाब से अप्रासंगिक बताकर उन्हें खारिज करते रहे हैं। नवारो की ‘ब्राह्मण’वाली टिप्पणी पर कांग्रेस के सांसद कार्ति चिदम्बरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक टिप्पणी में कहा, “अमेरिका में ‘बोस्टन ब्राह्मिन’ एक जुमला है जो आम बोलचाल में समाज के संभ्रांत लोगों के लिए इस्तेमाल होता है।”

चिदंबरम की इस टिप्पणी पर एक व्यक्ति ने एक्स पर लिखा नोवारो की टिप्पणी को ‘बोस्टन ब्राह्मिन’ से न जोड़िये।सब जानते हैं कि अमेरिका की नीतिगत टिप्पणियों वाली प्रणाली में ऐसी खुराक कौन से लोग डाल रहे हैं। यह खेल लम्बे समय से चल रहा है। नवारो जानते हैं कि वह क्या कह रहे हैं। इस पर एक नेटीजन ने टिप्पणी की, “क्या उस टूलकिट को लेकर और भी सबूत चाहिए?” उसने लिखा, “लगाता है सब तक एक ही संदेश पहुंचा है।”

भारत के एक मीडिया कर्मी ने टिप्पणी की, “जाहिर है टीम ट्रम्प में किसी देसी बंदे ने उन्हें कहा होगा, नस्लवाद का कीचड़ तो वहां तक पहुंचेगा नहीं, आइये जाति को आजमाया जाए।” इसी मीडियाकर्मी ने कहा, “डॉग-इन-चीफ का ताजा हमला मोदी-पुतिन की मुलाकात के ठीक पहले हुआ है।”

अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा, “नवारो की ओर से यह नया तंज हमें बताता है कि अमेरिका की नीतिगत और बौद्धिक जमात के बीच बातें फैलाने की नियंत्रण प्रणाली किसके हाथ में है।”सान्याल ने इसे औपनिवेशिक मानसिकता बताते हुये कहा कि इस तरह की टिप्पणी का स्रोत जेम्स मिल जैसे लोगों के दौर में ढूंढा जा सकता है।

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