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जब सरकारें खिताब देती हैं तब कुछ साल में वह भुला दिए जाते हैं, मगर जनता जब खिताब देती हैं तो लोग उसे युगों युगों तक याद करते हैं।: अमित शाह

जब सरकारें खिताब देती हैं तब कुछ साल में वह भुला दिए जाते हैं, मगर जनता जब खिताब देती हैं तो लोग उसे युगों युगों तक याद करते हैं।: अमित शाह

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दिल्हीः केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से मणिपुर में रानी गैदिनलिउ आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का भूमिपूजन किया। इस अवसर पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह और केन्द्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि रानी माँ गैदिनलिउ आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के भूमिपूजन का अवसर मुझे मिला है और ये एक ऐसा पवित्र काम है जिसके माध्यम से सैकड़ों सालों तक हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का जज़्बा, देशभक्ति और उनके कार्यों की सुगंध आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचेगी।

 

उन्होंने इस अवसर पर मणिपुर के सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। अमित शाह ने कहा कि मणिपुर के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने प्रदेश में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़कर अपने देश का परचम ऊंचा करने का काम किया। शाह ने कहा कि अंडमान-निकोबार के माउंट हैरियट पर मणिपुर के महाराजा कुलचंद्र सिंह और उनके साथियों को वहां सालों तक क़ैद रखकर कालापानी की सज़ा दी गई। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में मणिपुर के महाराजा कुलचंद्र सिंह जी ने अपने साहस व पराक्रम से पूर्वोत्तर में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ाई की शुरूआत की जिसके लिए उन्हें काला पानी की सजा भी हुई। उनकी स्मृति में माउंट हैरियट का नाम बदलकर माउंट मणिपुर करके महाराजा कुलचंद्र सिंह और मणिपुर के सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धाजलि जेने का काम हमने किया है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ये संग्रहालय ना केवल मणिपुर बल्कि पूरे उत्तरपूर्वी राज्यों के आकर्षण का केन्द्र बनेगा क्योंकि हमारा स्वतंत्रता संग्राम हमारे आदिवासी भाईयों के बिना अधूरा है। अगर देखें तो सबसे ज़्यादा तकलीफ़ें उठाकर अगर किसी ने स्वतंत्रता संग्राम में बलिदान दिए हैं तो हमारे आदिवासी समाज के स्वतंत्रता सेनानियों ने दिए हैं।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि ये वर्ष हमारी आज़ादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है और अभी हाल ही में प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी जी ने भगवान बिरसा मुंडा जी की जन्म जयंती के दिन हर वर्ष 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाकर देश की संस्कृति की रक्षा और देश की स्वतंत्रता के लिए आदिवासी समाज के योगदान को गौरव प्रदान करने का काम किया है। आज़ादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में हम 15 से 22 नवंबर तक पूरा सप्ताह आदिवासी गौरव सप्ताह के रूप में मना रहे हैं।

अमित शाह ने रानी मां को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आप से हम सभी प्रेरणा लेते हैं और आने वाली पीढ़ियां भी प्रेरणा लेंगी। आप जन्म से रानी नहीं थीं और ना रानी का खिताब आपको किसी ने दिया, मगर जिस तरह से आपने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया, आज पूरा देश आपको रानी मां कहकर सम्मानित करता है। जब सरकारें खिताब देती हैं तब कुछ साल में वह भुला दिए जाते हैं, मगर जनता जब खिताब देती हैं तो लोग उसे युगों युगों तक याद करते हैं। उन्होंने कहा कि बाबा तिलका मांझी, सिद्धो कानू, चांद भैरव, तेलंगा खड़िया, मध्य प्रदेश के शंकर शाह, रघुनाथ शाह, सेठ भिखारी, गणपत राय, उमराव सिंह टिकैत, विश्वनाथ सहदेव, निलांबर पितांबर, नारायण सिंह, जत्रा उरांव, जदोनांग और राज मोहन देवी जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अलग-अलग मौकों पर अंग्रेजों के दांत खट्टे करने का काम किया है। इस अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा को कैसे भुलाया जा सकता है क्योंकि देश में सबसे पहले आजादी की अलख जगाने वाला व्यक्ति हमारा आदिवासी नेता, जिनको पूरा देश भगवान बिरसा मुंडा के नाम से जानता है, उन्होंने ये अलख जगाई थी।

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