लोकसभा में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयकों की जांच कर रही समिति का कार्यकाल बढ़ाया गया
नई दिल्ली, 11 दिसम्बर। लोकसभा ने गुरुवार को उस संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का कार्यकाल बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से जुड़े विधेयकों की जांच कर रही है। जेपीसी के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्रशासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 की जांच अवधि को 2026 के बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक बढ़ाने का प्रस्ताव सदन में रखा। लोकसभा ने इस प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
कई विशेषज्ञों से प्राप्त हुए सुझाव
पिछले वर्ष दिसम्बर में गठित समिति ने अब तक कई दौर की बैठकों में संवैधानिक विशेषज्ञों, अर्थशास्त्रियों और विधि आयोग के अध्यक्ष दिनेश महेश्वरी सहित कई विशेषज्ञों से सुझाव प्राप्त किए हैं।
पीपी चौधरी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक
इस बीच पीपी चौधरी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में भाजपा सांसद संबित पात्रा, अनुराग ठाकुर, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, सुखदेव भगत और समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव शामिल हुए। इस बैठक में राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी समिति के सामने अपने विचार रखे।
कपिल सिब्बल बोले – यह मॉडल संविधान की मूल संरचना को प्रभावित कर सकता है
कपिल सिब्बल ने कथित तौर पर ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ प्रणाली का विरोध करते हुए कहा कि यह मॉडल संविधान की मूल संरचना को प्रभावित कर सकता है, संघीय ढांचे को कमजोर कर सकता है और राज्यों के अधिकारों का हनन कर सकता है। चूंकि संसदीय समिति की कार्यवाही गोपनीय होती है, इसलिए बैठक की विस्तृत चर्चाएं सार्वजनिक नहीं की गईं।
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर सभी हितधारकों को सुनना जरूरी
बैठक के बाद पीपी चौधरी ने कहा कि सिब्बल ने कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब दिए और बैठक में रचनात्मक चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि समिति की अगली बैठक 17 दिसम्बर को होगी। चौधरी ने कहा, “यह एक बड़ा चुनाव सुधार है। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर सभी हितधारकों को सुनना जरूरी है। समिति का हर सदस्य देशहित में काम कर रहा है।”
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा दिसम्बर, 2024 में पेश किए गए दोनों विधेयकों को बाद में विस्तृत जांच के लिए संसदीय समिति को भेजा गया था। इन विधेयकों का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव चक्र को एकसमान बनाना है। इसके लिए उन विधानसभा कार्यकालों को छोटा किया जा सकता है, जो किसी निर्धारित लोकसभा कार्यकाल के बाद चुनी जाती हैं, ताकि दोनों का कार्यकाल एक साथ समाप्त हो सके।
