महाकुम्भ 2025 : हर दिन बन रहा आस्था की डुबकी का रिकॉर्ड, पुण्य स्नान करने वालों की संख्या 10 करोड़ के पार
महाकुम्भ नगर, 23 जनवरी। संगम नगरी प्रयागराज में जारी महाकुम्भ 2025 के दौरान आस्था का सैलाब उमड़ा पड़ा है और संगम में पुण्य स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि गत 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर प्रथम स्नान पर्व के साथ प्रारंभ महाकुम्भ में 11वें दिन गुरुवार को मध्याह्न 12 बजे तक पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाने वालों की संख्या 10 करोड़ के पार जा पहुंची है। यूपी सरकार ने आज यह जानकारी दी। महाकुम्भ मेला का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि स्नान पर्व के साथ होगा।
राज्य सरकार के आधिकारिक बयान के अनुसार तीर्थयात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लगभग 10 लाख कल्पवासियों के अलावा प्रतिदिन लाखों लोग स्नान करने और आध्यात्मिक पुण्य प्राप्त करने के लिए आ रहे हैं। स्नान पर्वों के दौरान यह संख्या करोड़ों में पहुंच जाती है। गुरुवार दोपहर 12 बजे यह आंकड़ा 10 करोड़ के पार चला गया, जो जारी महाकुम्भ में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

बयान में यह भी बताया गया कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने पहले ही अनुमान लगाया था कि इस साल महाकुम्भ में 45 करोड़ से अधिक लोग आएंगे। प्रयागराज आए श्रद्धालुओं में उत्साह और उमंग का माहौल है। देश-दुनिया से लोग त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।
गुरुवार को ही दोपहर 12 बजे तक 30 लाख लोगों ने संगम में लगाई डुबकी
सरकार के बयान में कहा गया, ‘गुरुवार को ही दोपहर 12 बजे तक 30 लाख लोगों ने संगम में स्नान किया, जिसमें 10 लाख कल्पवासी और अन्य श्रद्धालु शामिल हैं। 23 जनवरी तक संगम में स्नान करने वाले कुल तीर्थयात्रियों की संख्या 10 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। सबसे अधिक तीर्थयात्रियों (करीब 3.5 करोड़) ने मकर संक्रांति पर्व के दौरान स्नान किया था, जबकि पौष पूर्णिमा पर्व में 1.7 करोड़ से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था।
इस बीच प्रतिदिन जहां लाखों श्रद्धालु आध्यात्मिक डुबकी लगाने के लिए संगम में उमड़ रहे हैं, वहीं प्रयागराज शहर में अत्यधिक भीड़ के बावजूद जनजीवन सामान्य रूप से जारी है। शहर में दैनिक जीवन पर कोई खास दबाव नहीं पड़ा है। जिला प्रशासन ने केवल प्रमुख स्नान पर्वों पर प्रतिबंध लगाए हैं जबकि स्कूल, कार्यालय और व्यवसाय सामान्य रूप से चलते रहेंगे।
