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रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा देश, बोले रक्षा मंत्री- 2024-25 में 1.20 लाख करोड़ के घरेलू सैन्य उपकरण खरीदे गए

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा देश, बोले रक्षा मंत्री- 2024-25 में 1.20 लाख करोड़ के घरेलू सैन्य उपकरण खरीदे गए

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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत ने 2024-25 के अंत तक घरेलू स्रोतों से 1,20,000 करोड़ रुपये मूल्य के सैन्य उपकरण और हथियार खरीदे हैं। उन्होंने बताया कि भारत राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए आत्मनिर्भरता को मजबूत करने पर लगातार ध्यान केंद्रित कर रहा है।

राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार युद्ध के बदलते स्वरूप खासतौर पर ड्रोन जैसे ‘नॉन-कॉन्टैक्ट वॉरफेयर’ (दूरस्थ युद्ध तकनीक) के महत्व को समझती है और उसके अनुसार तैयारी कर रही है। इस संदर्भ में उन्होंने विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत के अपने रक्षा उद्योगों को बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘2021-22 में घरेलू स्रोतों से हमारी पूंजीगत खरीद लगभग 74,000 करोड़ रुपये की थी, लेकिन 2024-25 के अंत तक यह बढ़कर लगभग 1,20,000 करोड़ रुपये हो गई है। यह बदलाव केवल आंकड़ों का नहीं, बल्कि मानसिकता के परिवर्तन का भी प्रतीक है।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए कई नीतिगत पहल की हैं। उन्होंने बताया कि अब सैन्य हार्डवेयर की खरीद में घरेलू स्रोतों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।

सिंह ने कहा, ‘‘भारत सरकार आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति से भली-भांति परिचित है। आज का युद्ध पूरी तरह प्रौद्योगिकी-आधारित हो चुका है। हमने इसका उदाहरण ऑपरेशन सिंदूर में भी देखा।’’

उन्होंने कहा, “इसमें हमने देखा कि ड्रोन, ड्रोन-रोधी प्रणाली और वायु-रक्षा प्रणाली जैसी दूरस्थ युद्ध तकनीकों का महत्व तेजी से बढ़ा है।’’ सिंह ने भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए रक्षा क्षेत्र के लिए प्रमुख उद्देश्यों का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा, ‘‘पहला उद्देश्य महत्वपूर्ण रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता हासिल करना। दूसरा, हमें रक्षा क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक निर्यातक बनना होगा।’’ रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘तीसरा, नयी अत्याधुनिक तकनीकों में प्रगति करना ताकि भारत अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी वाले देशों की श्रेणी में शामिल हो सके।’’

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