ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद का भयावह मंजर : स्कूल और कोल्ड स्टोरेज को बनाना पड़ा मुर्दाघर
भुवनेश्वर/बालासोर, 4 जून। ओडिशा के बालासोर में हुए भयावह रेल हादसे को दो दिन बीत चुके हैं। शुक्रवार की शाम हुए हादसे के बाद से लगातार 24 घंटे दुर्घटनास्थल पर राहत एवं बचाव कार्य चल रहा है। दो दिनों के अथक प्रयास के बाद ट्रेन की बोगियों में फंसे सारे शव निकाले जा चुके हैं।
मृतकों की वास्तविक संख्या 288 नहीं बल्कि 275
वहीं ओडिश के मुख्य सचिव प्रदीप जेना ने स्पष्ट किया है कि हादसे में 288 नहीं बल्कि 275 लोगों की मौत हुई है जबकि घायलों की संख्या 1100 से अधिक है। वहीं अस्पतालों में लावारिस शवों के ढेर लगे हुए हैं। आलम यह है कि अस्पतालों के मुर्दाघरों में जगह नहीं बची है। शवों की अत्यधिक संख्या को देखते हुए स्कूल और कोल्ड स्टोरेज को मुर्दाघर में तब्दील कर दिया गया है।
परिजन अपने लोगों की तलाश में अस्पताल और मुर्दाघरों के चक्कर लगा रहे
दरअसल, हादसे के बाद परिजन अपने-अपने लोगों की तलाश में अस्पताल और मुर्दाघरों के चक्कर लगा रहे हैं। वहीं 150 से ज्यादा शव अभी ऐसे हैं, जिनकी पहचान नहीं हो सकी है। बालासोर के बाहाना हाई स्कूल में भी शवों को रखा गया है। यहां जिन कक्षाओं में छात्र बैठा करते हैं, उनमें शव रखे हुए हैं। जिन शवों को पहचान हो जा रही है, उन्हें उनके परिजनों को सौंपा जा रहा है। शवों की तस्वीरें भी जारी की गई हैं, जिन्हें देखकर लोग अपनों की पहचान कर रहे हैं।
187 शवों को भुवनेश्वर शिफ्ट किया गया
प्राप्त जानकारी के अनुसार हादसे के बाद बालासोर के मुर्दाघरों में जगह न होने के कारण ओडिशा सरकार ने 187 शवों को जिला मुख्यालय शहर बालासोर से भुवनेश्वर शिफ्ट किया था। हालांकि, यहां भी जगह की कमी मुर्दाघर प्रशासन के लिए स्थिति को कठिन बना रही है। इनमें से 110 शवों को एम्स भुवनेश्वर में रखा गया है। वहीं बचे हुए शवों को कैपिटल अस्पताल, अमरी अस्पताल, सम अस्पताल आदि में रखा गया है।
एम्स के मुर्दाघर में रखे गए करीब तीन गुना शव
एम्स भुवनेश्वर के एक अधिकारी ने बताया, ‘यहां शवों को सुरक्षित रखना हमारे लिए भी एक वास्तविक चुनौती है क्योंकि हमारे पास अधिकतम 40 शवों को रखने की सुविधा है। एम्स के अधिकारियों ने शवों की पहचान होने तक उन्हें सुरक्षित रखने के लिए ताबूत, बर्फ और फॉर्मेलिन रसायन खरीदे हैं। गर्मी के इस मौसम में शवों को रखना वास्तव में मुश्किल है।
‘कोल्ड स्टोरेज में शवों को रखने की व्यवस्था‘
ओडिशा की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव शालिनी पंडित ने बताया, ‘सभी शवों को कोल्ड स्टोरेज व्यवस्था में रखा गया है (मुर्दाघरों की कमी के कारण)।’ यह स्वीकार करते हुए कि प्रशासन के लिए शवों की पहचान एक बड़ी चुनौती है क्योंकि पीड़ित विभिन्न राज्यों से थे, मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य सरकार ने विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी), भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) और ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (OSDMA) की तीन वेबसाइटों पर यात्रियों का विवरण अपलोड किया है। पहचान की सुविधा के लिए मृत यात्रियों की सूची और तस्वीरें भी वेबसाइटों पर अपलोड की जाती हैं।
पीड़ितों को रेलवे ने अनुग्रह राशि का भुगतान शुरू किया
हादसे में घायल और मृत व्यक्तियों के परिवार व रिश्तेदारों की सुविधा के लिए भारतीय रेलवे ने 139 हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। रेलवे ने 24×7 फोन कॉल्स अटेंड करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को नियुक्त किया है।
इसके साथ ही रेलवे की तरफ से मृत्यु के मामले में 10 लाख रुपये, गंभीर चोटों के लिए 2 लाख रुपये और मामूली चोटों के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान शुरू कर दिया गया है। रविवार दोपहर तक रेलवे ने 285 मामलों में अनुग्रह राशि के रूप में 3.22 करोड़ (11 मौत के मामले, 50 गंभीर चोट के मामले, 224 साधारण चोट के मामले) का भुगतान कर दिया था। भारतीय रेलवे सात स्थानों (सोरो, खड़गपुर, बालासोर, खंटापारा, भद्रक, कटक व भुवनेश्वर) पर अनुग्रह राशि का भुगतान कर रही है।