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तमिलनाडु : मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्राथमिक स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए शुरू की नि:शुल्क जलपान योजना

तमिलनाडु : मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्राथमिक स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए शुरू की नि:शुल्क जलपान योजना

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मदुरै, 16 सितम्बर। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मदुरै में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों (पहली से पांचवीं तक के) के लिए नि:शुल्क जलपान योजना शुरू की। गुरुवार को आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने खुद खाना परोसा तथा बच्चों के साथ भोजन किया।

यह योजना गरीब लोगों के जीवन में लाभकारी बदलाव लाएगी

मुख्यमंत्री स्टालिन ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह योजना गरीब लोगों के जीवन में लाभकारी बदलाव लाएगी। उन्होंने इसे इतिहास में जगह बनाने वाली पहल करार दिया। अमेरिका और यूरोप में इस तरह की पहल का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कई अध्ययनों का निष्कर्ष यह है कि इस तरह के जलपान कार्यक्रमों से सीखने के कौशल में सुधार हुआ और विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति भी बढ़ी।

‘मुफ्त सौगत’ और रियायत नहीं बल्कि सरकार का कर्तव्य और जिम्मेदारी

स्टालिन ने कहा, ‘खर्च 12.75 रुपये प्रति बच्चा प्रतिदिन है। लेकिन मैं प्रशासनिक अर्थ में खर्च शब्द का उपयोग कर रहा हूं। असल में यह व्यय नहीं है। यह मेरा और हमारी सरकार का कर्तव्य है।’ उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम न तो ‘मुफ्त सौगत’ हैं और न ही रियायत हैं बल्कि, यह सरकार का कर्तव्य और जिम्मेदारी है।

भुखमरी और कुपोषण की रोकथाम इस योजना का मुख्य उद्देश्य

उन्होंने कहा कि बच्चों को नि:शुल्क प्रदान की जाने वाली इस योजना का मुख्य उद्देश्य भुखमरी और कुपोषण की रोकथाम करने समेत कामकाजी महिलाओं के बोझ को कम करना है। कुल 33.56 करोड़ रुपये के आवंटन वाली इस योजना को 1545 विद्यालयों में लागू किया जाएगा, जिससे राज्यभर के 1,14,095 विद्यार्थियों को लाभ होगा।

स्टालिन ने कहा कि प्रतिष्ठित नेताओं, पेरियार ईवी रामासामी, सी.एन. अन्नादुरई और एम. करुणानिधि का दृष्टिकोण था कि शिक्षा हासिल करने की राह में गरीबी और जाति समेत कोई भी बाधा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे नेताओं की राह पर चलते हुए जब वह उनके सपनों को पूरा कर रहे हैं तो उन्हें असीम आनंद का अनुभव हो रहा है।

चेन्नई के सरकारी स्कूलों के निरीक्षण के दौरान स्टालिन ने कहा कि उन्हें पता चला है कि कई बच्चे बिना जलपान किए ही स्कूल आ गए। ऐसे परिदृश्य पर विचार करते हुए उन्होंने कहा कि भूखे छात्रों को पढ़ाया नहीं जाना चाहिए और यही कारण है कि जलपान योजना शुरू की गई है।

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