स्वामी प्रसाद की टिप्पणी पर मचा घमासना, VHP नेता बोले- पागलखाने में भर्ती कराया जाए
लखनऊ, 23 जनवरी। राम चरित मानस पर विवादित बयान देने वाले यूपी के पूर्व मंत्री व सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य साधु-संतों के निशाने पर आ गए हैं। अयोध्या कोतवाली में तहरीर देकर दोनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बोल उनकी पार्टी सपा को ही रास नहीं आई है।
- स्वामी प्रसाद विक्षिप्त हैं उन्हें पागलखाने में भर्ती कराने की जरूरत
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि ऐसा बयान देने वाले स्वामी प्रसाद विक्षिप्त हो गए हैं और उन्हें पागलखाना में भर्ती कराने की जरूरत है। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम दिनेश आचार्य ने कहा कि स्वामी प्रसाद को सत्य का जरा भी भान नहीं है इतनी कम समझ वाले आदमी को राजनीति में रहने का हक नहीं है। निष्काम सेवा ट्रस्ट के व्यवस्थापक एवं ज्योतिष गुरु महंत रामचंद्र दास का मानना है कि यह बयान बाजी सस्ती लोकप्रियता के लिए है यदि स्वामी प्रसाद में जरा भी सच्चाई हो तो रामचरितमानस के किसी भी मर्मज्ञ से उसके समग्र अर्थ को समझने का प्रयास करें।
विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने स्वामी प्रसाद पर सीधे टिप्पणी से परहेज करते हुए मानस में छिपे सार को अपने वीडियो संदेश के माध्यम से साझा कर इस महान धर्मग्रंथ की उपयोगिता बताते हुए आईंना दिखाया है। मनोज पांडेय ने मानस को जीवन जीने की जीवंत पद्धति बताया। कहा, रामचरित मानस एक अकाट्य सत्य है। हम सभी लोग रामचरित मानस के प्रति श्रद्धा रखते हैं।
उल्लेखनीय है कि एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस पर विवादित टिप्पणी करते हुए इसे प्रतिबंधित करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि जो भी विवादित अंश इस ग्रंथ में संकलित हैं, उन्हें निकाला जाना चाहिए। तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस की एक चौपाई- ‘ढोल-गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी’ का जिक्र करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि इस तरह की पुस्तक को जब्त किया जाना चाहिए। महिलाएं सभी वर्ग की हैं, क्या उनकी भावनाएं आहत नहीं हो रहीं हैं।