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सुप्रीम कोर्ट का स्पष्टीकरण – दिल्ली में पटाखों पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं, सिर्फ कुछ आतिशबाजी प्रतिबंधित’

सुप्रीम कोर्ट का स्पष्टीकरण – दिल्ली में पटाखों पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं, सिर्फ कुछ आतिशबाजी प्रतिबंधित’

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नई दिल्ली, 7 नवम्बर। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से मंगलवार को इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत पटाखों से जुड़े मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। इनमें से एक याचिका भाजपा नेता मनोज तिवारी ने 2022 में दिल्ली में दिवाली समारोह के दौरान पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को चुनौती देते हुए दायर की थी। 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पटाखों के उपयोग पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है और केवल वे आतिशबाजी प्रतिबंधित हैं, जिनमें बेरियम लवण होते हैं।

पटाखों से संबंधित अपने पहले के आदेश का पालन करने का शीर्ष अदालत का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट इसी क्रम में राजस्थान और अन्य राज्यों को त्योहारी सीजन के दौरान पटाखों से संबंधित अपने पहले के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया और कहा कि प्रदूषण का प्रबंधन करना सभी का कर्तव्य है। न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने राजस्थान को विशेषकर त्योहारी सीजन के दौरान वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया।

दरअसल, सर्वोच्च अदालत राजस्थान में पटाखों के मुद्दे से संबंधित एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। एक वकील ने अदालत से पहले के आदेशों का पालन करने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया। वकील ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट का पिछला आदेश दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र पर लागू था। वकील ने पूरे भारत में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।

‘पर्यावरण के मुद्दे पर सिर्फ कोर्ट की सारी जिम्मेदारी नहीं, यह हर किसी का कर्तव्य

कोर्ट ने कहा कि यह गलत धारणा है कि पर्यावरण के मुद्दे पर कोर्ट की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि प्रदूषण का प्रबंधन करना हर किसी का कर्तव्य है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि हर नागरिक को यह देखना होगा कि दिवाली कम पटाखों के साथ पर्यावरण अनुकूल मनाई जाए।

इन दिनों स्कूली बच्चों की तुलना में बुजुर्ग अधिक पटाखे फोड़ते हैं

अदालत ने अपनी टिप्पणी में यह भी साझा किया कि इन दिनों स्कूली बच्चों की तुलना में बुजुर्ग अधिक पटाखे फोड़ते हैं। अदालत ने राजस्थान राज्य को उदयपुर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का भी निर्देश दिया। इस बीच, एक अन्य वकील ने अदालत को दूसरे आवेदन के बारे में अवगत कराया, जो पराली जलाने से संबंधित है।

कोर्ट ने मौसम विभाग से दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि उन्हें लगता है कि इस मुद्दे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का खेल चल रहा है। इससे पहले शीर्ष अदालत ने 22 सितम्बर को बेरियम रसायन युक्त पटाखों के निर्माण, बिक्री और उपयोग की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी।

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