नई दिल्ली, 27 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की मांग पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल 15 सितम्बर तक बढ़ाने की अनुमति प्रदान कर दी। केंद्र ने देशहित का हवाला देते हुए मिश्रा का कार्यकाल 15 अक्टूबर तक बढ़ाने की मांग की थी।
सॉलिसिटिर जनरल तुषार मेहता ने दी ये दलील
शीर्ष अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘हमने सभी याचिकाकर्ताओं को सूचित किया है। हम जानते हैं कि आपने उन्हें हटाने का निर्देश दिया है, लेकिन परिस्थिति असाधारण है। वित्तीय काररवाई कार्यबल (FATF) का लेकर दौरा नवम्बर में है।’
कोर्ट ने पूछा – ‘क्या अन्य सभी अधिकारी अयोग्य हैं? सिर्फ एक ही सक्षम‘
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर जस्टिस बी.आर. गवई ने पूछा, ‘क्या आप यह छवि नहीं बना रहे हैं कि बाकी सभी अधिकारी अयोग्य हैं? सिर्फ एक ही अधिकारी काम करने में सक्षम है।’ जस्टिस गवई की टिप्पणी पर तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा नहीं है बात नेतृत्व की है। यह अधिकारी लगभग पांच वर्षों से इस मामले की तैयारी से जुड़े हैं। भारत को जो रेटिंग मिलेगी, उसका देश को व्यापक फायदा मिलेगा। वर्ल्ड बैंक की क्रेडिट रेटिंग वगैरह पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
पाकिस्तान का किया जिक्र
इस पर न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘हमने समय दिया था कि एजेंसी में नेतृत्व परिवर्तन हो सके।’ मेहता ने कहा कि कई देश ग्रे लिस्ट में हैं। जैसे कि कुछ समय पहले तक पाकिस्तान भी था। इस पर जज ने सवाल किया कि हमारी अभी रेटिंग क्या है? इसका जवाब देते हुए मेहता ने कहा कि अच्छी है। उसे और बेहतर करना है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू ने कहा कि कई देश इस कोशिश में हैं कि भारत की रेटिंग गिरे।
सिंघवी बोले – ऐसी छवि बना रहे, जैसे देश का सारा भार एक ही व्यक्ति के कंधों पर
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ये लोग ऐसी छवि बना रहे हैं, जैसे देश का सारा भार एक ही व्यक्ति (संजय मिश्रा) के कंधों पर है। इस व्यक्ति को दो वर्ष पहले पद से हटना था। एफएटीएफ रिव्यू एक साल तक चलेगा। इस तरह से तो इन्हें 2024 तक के कार्यकाल की मांग करनी चाहिए थी। क्या इनकी दलीलों को स्वीकार किया जा सकता है? सिंघवी ने कहा कि असल मे तो इन्होंने जो कानून भी बनाया था, वह सिर्फ एक व्यक्ति के लिए ही था। किसी ना किसी तरीके से उनको पद पर बनाए रखने की कोशिश है।
प्रशांत भूषण ने भी किया सरकार की दलीलों का विरोध
वहीं वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को आदेश दिया। केंद्र सरकार कल तक इंतजार करती रही। यदि वह व्यक्ति इतना ज़रूरी है तो उसे विशेष सलाहकार बना लीजिए। इस तरह का आवेदन कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
शीर्ष अदालत ने ईडी निदेशक के कार्यकाल के तीसरे विस्तार को अवैध ठहराया था
गौरतलब है कि ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार को अवैध ठहराये जाने के कुछ दिन बाद केंद्र ने एफएटीएफ की समीक्षा जारी रहने के मद्देनजर उन्हें 15 अक्टूबर तक पद पर बने रहने की अनुमति देने के लिए बीते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने गत 11 जुलाई को दिए अपने आदेश में मिश्रा के कार्यकाल को तीसरा विस्तार दिए जाने को अवैध ठहराते हुए उनके विस्तारित कार्यकाल को घटाकर 31 जुलाई कर दिया था।
संजय मिश्रा नवम्बर, 2018 में पहली बार बने थे ईडी निदेशक
63 वर्षीय संजय कुमार मिश्रा को पहली बार 19 नवम्बर, 2018 को दो वर्ष के लिए ईडी का निदेशक नियुक्त किया गया था। बाद में, 13 नवम्बर, 2020 के एक आदेश के जरिये केंद्र सरकार ने नियुक्ति पत्र को पूर्व प्रभाव से संशोधित किया और उनका दो साल का कार्यकाल बदलकर तीन साल कर दिया गया। सरकार ने पिछले वर्ष एक अध्यादेश जारी किया था, जिसके तहत ईडी और सीबीआई प्रमुखों को दो वर्ष के अनिवार्य कार्यकाल के बाद तीन साल का सेवा विस्तार दिया जा सकता है।