1. Home
  2. हिन्दी
  3. राजनीति
  4. सुप्रीम कोर्ट ने मैसूर दशहरा पर दाखिल याचिका खारिज की, कहा – भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है!
सुप्रीम कोर्ट ने मैसूर दशहरा पर दाखिल याचिका खारिज की, कहा – भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है!

सुप्रीम कोर्ट ने मैसूर दशहरा पर दाखिल याचिका खारिज की, कहा – भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है!

0
Social Share

नई दिल्ली, 19 सितम्बर। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक को इस वर्ष के मैसूर दशहरा समारोह का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किए जाने का विरोध किया गया था। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर आधारित है और राज्य सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम किसी निजी संस्था का आयोजन नहीं होता।

बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक को आमंत्रित किए जाने का विरोध 

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि मैसूर दशहरा केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हिन्दू धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं से जुड़ा पवित्र अनुष्ठान है। इसकी शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार और चामुंडेश्वरी देवी की पूजा से होती है। ऐसे में बानू मुश्ताक के रूप में एक मुस्लिम महिला को समारोह का उद्घाटन करने के लिए बुलाना परंपरा और धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि 2017 में भी प्रसिद्ध मुस्लिम कवि निसार अहमद ने मैसूर दशहरा का उद्घाटन किया था। अदालत ने कहा, ‘हमारे संविधान की प्रस्तावना स्पष्ट करती है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। ऐसे में किसी भी धर्म विशेष के आधार पर भेदभाव करना न्यायोचित नहीं है।’

गौरतलब है कि बेंगलुरु निवासी एचएस गौरव की ओर से दायर पीआईएल में कहा गया कि दशहरा के उद्घाटन को हिन्दू परंपरा का अभिन्न हिस्सा घोषित किया जाना चाहिए और इसे हिन्दू गणमान्य व्यक्ति द्वारा ही किया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत के समक्ष दायर एसएलपी में कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें मैसूर दशहरा के उद्घाटन के लिए बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं (पीआईएल) को खारिज कर दिया गया था। मैसूर दशहरा के उद्घाटन के दौरान देवी चामुंडेश्वरी को फूल चढ़ाने की परंपरा है और विपक्षी बीजेपी इस बात पर आपत्ति जता रही है कि बानू मुश्ताक दूसरे धर्म से हैं।

कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विभू बाखरू और जस्टिस सीएम जोशी की बेंच ने 15 सितम्बर को अपने फैसले में कहा था कि किसी के भी अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है और कहा कि विजय दशमी का त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

हालांकि, विपक्ष ने मैसूर दशहरा के उद्घाटन के लिए बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के राज्य सरकार के फैसले को ‘गलत’ बताया है और याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि बुकर प्राइज विजेता ने हिन्दू विरोधी बयान दिए थे और कन्नड़ भाषा के खिलाफ टिप्पणी की थी। वहीं, कर्नाटक सरकार का कहना है कि मैसूर दशहरा इस क्षेत्र का त्योहार है, न कि कोई धार्मिक कार्यक्रम।

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code