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श्रीलंकाई क्रिकेट टीम के पहले टेस्ट कप्तान बंदुला वर्णपुरा का निधन

श्रीलंकाई क्रिकेट टीम के पहले टेस्ट कप्तान बंदुला वर्णपुरा का निधन

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कोलंबो, 18 अक्टूबर। श्रीलंकाई क्रिकेट टीम के पहले टेस्ट कप्तान, पूर्व कोच और प्रशासक बंदुला वर्णपुरा का सोमवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। 68 वर्षीय वर्णपुरा मधुमेह से पीड़ित थे शुगर लेवल ज्यादा बढ़ने के बाद पिछले सप्ताह उन्हें आईसीयू में ले जाया गया था। वह अपने पीछे पत्नी, बेटी, दो बेटे और पोते-पोतियों का परिवार छोड़ गए हैं।

श्रीलंका क्रिकेट (एसएलसी) ने एक बयान में कहा कि श्रीलंका राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी सोमवार को नामीबिया के खिलाफ टी20 विश्व कप के अपने पहले मैच के दौरान वर्णपुरा को श्रद्धांजलि के रूप में बांह में काली पट्टी बांधेंगे। बांग्लादेश के खिलाफ सोमवार को दांबुला में दूसरा यूथ वनडे खेलने उतरी अंडर-19 टीम भी काली पट्टी पहने नजर आई।

टेस्ट में बल्लेबाजी व गेंदबाजी की शुरुआत करने वाले गिन-चुने क्रिकेटरों में शुमार

नालंदा कॉलेज से निकले वर्णपुरा ने 1975-1982 तक सात वर्षों के अंतरराष्ट्रीय करिअर में 12 एक दिवसीय और चार टेस्ट खेले। उन्होंने अपने प्रत्येक टेस्ट और आठ एक दिवसीय मैचों में टीम की कप्तानी की, जिसमें 1982 में इंग्लैंड के खिलाफ श्रीलंका का पहला टेस्ट भी शामिल था। उस टेस्ट की दूसरी पारी में ओपनिंग करते हुए उन्होंने 38 रन बनाए थे, जो उनका सर्वोच्च टेस्ट स्कोर रहा। उन्हें एक ही टेस्ट में गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों की शुरुआत करने वाले कुछ गिने-चुने खिलाड़ियों में एक होने का गौरव प्राप्त है।

1975 विश्व कप में वेस्टइंडीज के खिलाफ एक दिनी करिअर की शुरुआत की थी

उन्होंने 1975 के विश्व कप में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना एकदिवसीय पदार्पण किया। उसी टूर्नामेंट में उन्होंने जेफ थॉमसन और डेनिस लिली के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण के खिलाफ 39 गेंदों पर 31 रनों की यादगार पारी खेली। उनका एकमात्र अंतरराष्ट्रीय अर्धशतक 1982 में कराची में पाकिस्तान के खिलाफ मैच में आया, जब 98 गेंदों पर उनकी 77 रनों की धीमी पारी श्रीलंकाई टीम की हार का कारण बनी थी। वह एक उपयोगी मध्यम तेज गेंदबाज भी थे, जिन्होंने एक दिवसीय मैचों में आठ विकेट लिए थे।

विद्रोही टीम के साथ दक्षिण अफ्रीका जाने पर प्रतिबंध भी झेलना पड़ा था

वर्णपुरा का अंतरराष्ट्रीय करिअर, हालांकि छोटा हो गया था, जब उन्हें 1982-83 में एक विद्रोही टीम के साथ दक्षिण अफ्रीका के दौरे के लिए श्रीलंका क्रिकेट (एसएलसी) द्वारा आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया था। कई वर्षों बाद प्रतिबंध हटने पर उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी और प्रशासक के रूप में एसएलसी में लौट आए। वह राष्ट्रीय बोर्ड के साथ अपने समय के दौरान कई क्रिकेट और चयन समितियों का हिस्सा थे। उन्होंने 1990 के दशक में कोच की भी जिम्मेदारी निभाई।

श्रीलंकाई क्रिकेट बिरादरी ने अर्पित की श्रद्धांजलि

श्रीलंका के पूर्व कप्तानों – सनथ जयसूर्या, माहेला जयवर्धने व कुमार संगकारा  और वर्तमान कप्तान दासुन शनाका सहित क्रिकेट बिरादरी के कई सदस्यों ने बंदुला वर्णपुरा को श्रद्धांजलि अर्पित की है।

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