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यूपी : महान दल के समर्थन वापस लेते ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगा ली गिफ्ट की गई फार्च्यूनर

यूपी : महान दल के समर्थन वापस लेते ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगा ली गिफ्ट की गई फार्च्यूनर

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लखनऊ, 11 जून। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को शिकस्त देने के लिए समाजवादी पार्टी के साथ एक हुए दलों का कुनबा अब बिखरने लगा है। इस क्रम में सपा गठबंधन के एक सहयोगी महान दल ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी एक्शन में आ गए। उन्होंने महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य को तोहफे में दी गई फार्च्यूनर कार वापस मंगा ली।

गौरतलब है कि सपा के साथ गठबंधन के तहत विधानसभा चुनाव दो सीटों पर किस्मत आजमाने वाले महान दल को एक भी सीट नहीं मिली थी। इसके बाद भी केशव देव मौर्य ने काफी सब्र रखा। लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद जब विधान परिषद, राज्यसभा तथा विधान परिषद चुनाव में उनकी पार्टी को नहीं पूछा गया तो उनका धैर्य टूट गया और उन्होंने सपा गठबंधन से अलग होने के फैसला कर लिया।

अखिलेश ने चुनाव के पहले केशव देव को गिफ्ट में दी थी फार्च्यूनर कार

फिलहाल पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता माने जाने वाले केशव देव मौर्य का यह कदम पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को काफी नागवार लगा और उन्होंने चुनाव पूर्व केशव देव को गिफ्ट में दी गई फार्च्यूनर कार करीब सात महीने बाद वापस ले ली। बीते वर्ष ऑटोमेटिक फार्च्यूनर मिलने के बाद केशव देव मौर्य की पत्नी और उनके बेटे व बहू ने कार की पूजा की थी।

दरअसल, समाजवादी पार्टी ने गाड़ी केशव देव मौर्य को विधानसभा चुनाव में प्रचार के काम के लिए दी थी। अखिलेश के एक सलाहकार ने केशव देव मौर्य को फोन कर गाड़ी वापस करने की बात कही, जिसके बाद तुरंत ही केशव देव ने गाड़ी वापस कर दी।

केशव बोले – हम कार्यकर्ताओं की मेहनत का पैसा सुविधाओं के लिए नहीं उड़ाते

केशव देव मौर्य ने कहा, ‘हम ऐसी सैकड़ों गाडिय़ां खरीद सकते हैं। अगर कार्यकर्ताओं के चंदे का पैसों का इस्तेमाल गाड़ियों में करने लगे तो हम एक ही दिन में सैकड़ों गाड़ी खरीद लेंगे, लेकिन हम कार्यकर्ताओं की मेहनत का पैसा सुविधाओं के लिए नहीं उड़ाते। फार्च्यूनर गाड़ी समाजवादी पार्टी के नाम से रजिस्टर्ड है। हमने मना किया तो कहा गया, यह गठबंधन का गिफ्ट है, आप अब इसी से चलेंगे।’

लगातार उपेक्षा के कारण अलग होने का फैसला किया

महान दल अध्यक्ष ने कहा, ‘हमको केवल दो विधानसभा सीट दी गई जबकि हमने 13 विधानसभा सीटें मांगी थी। हम चुनाव तक शांत थे। जब आठ विधानसभा सीट वाले को राज्यसभा भेजा जा सकता है तो हमारे गठबंधन में हमें विधान परिषद सदस्य क्यों नहीं बनाया गया। लगातार उपेक्षा के चलते हमने सपा से गठबंधन तोड़ने का एलान किया है।’

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