एसकेएम की घोषणा : किसान आंदोलन खत्म, 11 दिसंबर से दिल्ली की सीमाओं से घर लौटेंगे आंदोलनकारी
नई दिल्ली, 9 दिसंबर। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की तीन सीमाओं पर पिछले एक वर्ष से भी ज्यादा समय से जारी किसान संगठनों का आंदोलन अंततः खत्म हो गया। कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद एमएसपी सहित विभिन्न मागों को लेकर अड़े किसानों के तेवर को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से प्रेषित संशोधित प्रस्तावों पर सहमति जताने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने लगातार तीसरे दिन गुरुवार को अपनी लंबी बैठक के बाद आंदोलन समाप्ति की घोषणा की और घर वापसी का फैसला किया।
किसान नेता बलवीर राजेवाल बोले – हम सरकार को झुकाकर वापस जा रहे
किसान नेता बलवीर राजेवाल ने कहा, ‘हम सरकार को झुकाकर वापस जा रहे हैं।’ उन्होंने बताया कि 15 जनवरी को किसान मोर्चा की फिर बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। आंदोलन वापसी के एलान के बाद किसान शनिवार, 11 दिसंबर से दिल्ली बॉर्डर से अपने घरों को लौटेंगे।
सरकार दाएं-बाएं हुई तो फिर हो सकता है आंदोलन का पैसला
बलवीर राजेवाल ने कहा कि किसान आंदोलन को स्थगित किया गया है और हर महीने एसकेएम की बैठक होगी। अगर सरकार दाएं-बाएं होती हैं तो फिर से आंदोलन करने का फैसला लिया जा सकता है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि दिल्ली बॉर्डर से किसान 11 दिसंबर से हटने शुरू करेंगे। उसके बाद 13 दिसंबर को अमृतसर में हरमिंदर साहिब पर मत्था टेकेंगे। वहीं, 15 दिसंबर से पंजाब के टोल प्लाजा पर डटे हुए किसान भी हट जाएंगे।
कृषि सचिव संजय अग्रवाल की चिट्ठी के बाद हुआ आंदोलन समाप्ति का फैसला
किसान नेता और स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने बताया, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीन काले कानून वापस लेने की घोषणा की। उसके बाद 21 तारीख को मोर्चा ने हमारे जो लंबित मामले थे, उसकी चिट्ठी लिखी। दो हफ्ते तक कोई जवाब नहीं आया। लेकिन परसों सरकार की ओर से पहला प्रस्ताव आय। हमने कुछ बदलाव मांगे, जिसके बाद कल फिर प्रस्ताव आया, उस पर चर्चा हुई। आज सुबह हमें कृषि सचिव संजय अग्रवाल की चिट्ठी मिली है।’
सरकार ने हमारी सारी मांगें मान लीं : योगेंद्र यादव
योगेंद्र यादव ने बताया, ‘सरकार की चिट्ठी में लिखा है कि यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णतः सहमति दी है कि तत्काल प्रभाव से आंदोलन संबंधित मामलों को वापस लिया जाएगा। दिल्ली समेत सभी यूटी में दर्ज मामलों को भी वापस लिया जाएगा। मुआवजे के सवाल पर यूपी और हरियाणा सरकार ने सहमति दे दी है। बात आगे बढ़ गई है। बिजली बिल पर हमें ऐतराज था, सरकार ने लिखित में मान लिया है कि संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा के बाद संसद में पेश होगा।’
उन्होंने यह भी बताया कि देश में एमएसपी पर खरीदी की स्थिति को जारी रखा जाएगा। पराली पर 5 वर्ष की सजा और 1 करोड़ जुर्माने के प्रावधान को भी रद कर दिया है और आपराधिक मुकदमे नहीं चलेंगे।
राकेश टिकैत बोले – संयुक्त मोर्चा इकट्ठा यहां से जा रहा है, यह बड़ी जीत
उधर राकेश टिकैत ने कहा, ‘संयुक्त किसान मोर्चा था, है और रहेगा। संयुक्त मोर्चा इकट्ठा यहां से जा रहा है, यह बड़ी जीत है। 11 तारीख से बॉर्डर खाली होने शुरू हो जाएंगे। कल जो दुखद घटना हुई है, हम उस दुख की घड़ी में देश के साथ हैं। जो हमारे किसान शहीद हैं, जवान शहीद हुए हैं और 11 तारीख से हम इस विजय से अपने गांव लौटना शुरू करेंगे।’
पिछले वर्ष 26 नवंबर को दिल्ली बॉर्डर पर शुरू हुआ था आंदोलन
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष सितंबर में तीन कृषि कानूनों को पास किया था। इसके खिलाफ 26 नवंबर से दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आ डटे थे। किसान तीनों कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े हुए थे।