भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत, पहली तिमाही में 20.1% की दर से बढ़ी जीडीपी
नई दिल्ली, 1 सितम्बर। पिछले वर्ष की शुरुआत से ही फैली कोरोना महामारी के चलते बुरी तरह लड़खड़ाई देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। इसका अंदाजा केंद्र सरकार की तरफ से मंगलवार को जारी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के ताजा आंकड़ों से लगाया जा सकता है। आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2021-2022 की पहली तिमाही यानी अप्रैल, 2021 से जून, 2021 में भारत की जीडीपी की ग्रोथ में 20.1 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के पहली तिमाही में जीडीपी 32.38 लाख करोड़ रुपये रही है, जो 2020-21 की पहली तिमाही में 26.95 लाख करोड़ रुपये थी। यानी साल दर साल के आधार पर जीडीपी में 20.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले साल 2020-21 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।
जीडीपी ग्रोथ आरबीआई के अनुमान के काफी करीब
एसबीआई की ईकोरैप रिसर्च रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी की दर 18.5 फीसदी रह सकती है। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अनुमान था कि पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था 21.4 फीसदी की दर दिखा सकती है। अब सरकारी आंकड़ों के अनुसार जीडीपी ग्रोथ रेट 20.1 फीसदी है, जो रिजर्व बैंक के अनुमान के काफी करीब है। जीडीपी की इतनी शानदार ग्रोथ रेट यह संकेत दे रही है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से सुधर रही है।
जीडीपी किसी देश के आर्थिक विकास का सबसे बड़ा पैमाना
ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) किसी एक वर्ष में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल वैल्यू को कहते हैं। जीडीपी किसी देश के आर्थिक विकास का सबसे बड़ा पैमाना है। अधिक जीडीपी का मतलब है कि देश की आर्थिक बढ़ोतरी हो रही है। यदि जीडीपी बढ़ती है तो इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था ज्यादा रोजगार पैदा कर रही है।
जीडीपी में बढ़ोतरी का यह भी मतलब है कि लोगों का जीवन स्तर भी आर्थिक तौर पर समृद्ध हो रहा है। इससे यह भी पता चलता है कि कौन से क्षेत्र में विकास हो रहा है और कौन सा क्षेत्र आर्थिक तौर पर पिछड़ रहा है। चीन की इकॉनमी जुलाई-सितंबर तिमाही में 4.9 फीसदी की दर से बढ़ी जबकि अप्रैल-जून तिमाही में इसमें 3.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।