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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय बोले – गर्भगृह की छत दुरुस्त, एक बूंद भी पानी नहीं टपका

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय बोले – गर्भगृह की छत दुरुस्त, एक बूंद भी पानी नहीं टपका

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नई दिल्ली, 26 जून। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में मौसम की पहली ही बारिश के दौरान छत से पानी टपकने के बारे में आई खबरों पर स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा है कि गर्भगृह की, जहां भगवान रामलला विराजमान है, छत से एक भी बूंद पानी नहीं टपका है और न ही कहीं से गर्भगृह में पानी का प्रवेश हुआ है।

‘द्वितीय तल पर निर्माण कार्य के चलते गूढ़मण्डप की छत खुली हुई है

चंपत राय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस बाबत विस्तार से जानकारी देते हुए कहा, ‘श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में वर्षाकाल के दौरान छत से पानी टपकने के संदर्भ में कुछ तथ्य आपके सामने रख रहा हूं। गर्भगृह में, जहां भगवान रामलला विराजमान है, एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका है और न ही कही से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है। गर्भगृह के आगे पूर्व दिशा में मंडप है, जिसे गूढ़मण्डप कहा जाता है। वहां मंदिर के द्वितीय तल की छत का कार्य पूर्ण होने के पश्चात (भूतल से लगभग 60 फीट ऊंचा) घुम्मट जुड़ेगा और मण्डप की छत बंद हो जाएगी। इस मंडप का क्षेत्र 35 फीट व्यास का है। इसे अस्थायी रूप से प्रथम तल पर ही ढक कर दर्शन कराए जा रहे हैं। द्वितीय तल पर पिलर निर्माण कार्य चल रहा है। रंग मंडप एवं गूढ़मण्डप के बीच दोनों तरफ (उत्तर एवं दक्षिण दिशा में) उपरी तलों पर जाने की सीढ़ियां हैं, जिनकी छत भी द्वितीय तल की छत के ऊपर जाकर ढंकेगी।’

‘जंक्शन बॉक्सेज में पानी घुसा और वही पानी कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा

उन्होंने कहा, ‘सामान्यतया पत्थरों से बनने वाले मंदिर में बिजली के कंड्यूट एवं जंक्शन बाक्स का कार्य पत्थर की छत के ऊपर होता है एवं कन्ड्युट को छत मे छेद करके नीचे उतारा जाता है, जिससे मंदिर के भूतल की छत की लाइटिंग होती है। ये कंड्यूट एवं जंक्शन बाक्स ऊपर के फ्लोरिंग के दौरान वाटर टाईट करके सतह में छुपाईं जाती है। चूंकि प्रथम तल पर बिजली, वाटर प्रूफिंग एवं फ्लोरिंग का कार्य प्रगति पर है, अतः सभी जंक्शन बॉक्सेज में पानी घुसा और वही पानी कंड्यूट के सहारे भूतल पर गिरा।’

‘कार्य पूरा होने के बाद किसी भी जंक्शन से पानी का प्रवेश नहीं होगा

चंपत राय ने कहा, ‘ऊपर देखने पर यह प्रतीत हो रहा था कि छत से पानी टपक रहा है जबकि यथार्थ में पानी कंड्यूट पाइप के सहारे भूतल पर निकल रहा था। उपरोक्त सभी कार्य शीघ्र पूरा हो जाएगा, प्रथम तल की फ्लोरिंग पूर्णतः वाटर टाइट हो जाएगी और किसी भी जंक्शन से पानी का प्रवेश नहीं होगा। फलस्वरूप कंड्यूट के जरिये पानी नीचे तल पर भी नहीं जाएगा। मंदिर एवं परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का सुनियोजित तरीके से उत्तम प्रबंध किया गया है, जिसका कार्य भी प्रगति पर है। अतः मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव की स्थिति नहीं होगी।’

मंदिर परिसर के निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं

उन्होंने आगे कहा, ‘पूरे श्रीराम जन्मभूमि परिसर को बरसात के पानी के लिए बाहर शून्य वाटर डिस्चार्ज के लिए प्रबंधन किया गया है। श्रीराम जन्म भूमि परिसर मे बरसात के पानी को अंदर ही पूर्ण रूप से रखने के लिए रिचार्ज पिटो का भी निर्माण कराया जा रहा है। मंदिर एवं परकोटा निर्माण कार्य भारत की दो अति प्रतिष्ठित कम्पनियों L&T तथा टाटा के इंजीनियरों एवं पत्थरों से मंदिर निर्माण की अनेक पीढ़ियों की परम्परा के वर्तमान उत्तराधिकारी श्री चंद्रकांत सोमपुराजी के पुत्र आशीष सोमपुरा व अनुभवी शिल्पकारों की देखरेख मे हो रहा है। अतः निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है।

उत्तर भारत में पहली बार सिर्फ पत्थरों से मंदिर निर्माण कार्य हो रहा

चंपत राय ने कहा, ‘उत्तर भारत में लोहे का उपयोग किए बिना केवल पत्थरों से मंदिर निर्माण कार्य (उत्तर भारतीय नागर शैली में) प्रथम बार हो रहा है, देश विदेश में केवल स्वामी नारायण परम्परा के मंदिर पत्थरों से बने हैं। भगवान के विग्रह की स्थापना, दर्शन पूजन और निर्माण कार्य केवल पत्थरों के मंदिर में संभव है। जानकारी के अभाव में मन विचलित हो रहा है। प्राण प्रतिष्ठा दिन के पश्चात लगभग एक लाख से एक लाख पंद्रह हजार भक्त प्रतिदिन रामलला के बाल रूप के दर्शन कर रहे हैं। प्रातः 6.30 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक दर्शन के लिए प्रवेश होता है, किसी भी भक्त को अधिक से अधिक एक घण्टा दर्शन के लिए प्रवेश, पैदल चलकर दर्शन करना, बाहर निकल कर प्रसाद लेने में लगता है, मंदिर में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित है।’

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