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मणिपुर की शर्मनाक घटना में चौंकाने वाला खुलासा : फर्जी वीडियो से भड़के दरिंदों ने बदला लेने के लिए महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाया

मणिपुर की शर्मनाक घटना में चौंकाने वाला खुलासा : फर्जी वीडियो से भड़के दरिंदों ने बदला लेने के लिए महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाया

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इम्फाल, 20 जुलाई। हिंसाग्रस्त मणिपुर में घटित शर्मनाक घटना का जो वीडियो बुधवार को वायरल हुआ था, उसमें एक  चौंकाने वाला खुलासा हुआ है और बताया जा रहा है कि यह पूरी घटना एक फेक वीडियो सामने आने के बाद हुई थी। उसी फेक वीडियो से भड़के दरिंदों ने सेनापति जिले के एक गांव में दो जनजातीय महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया था और उनमें एक के भाई की हत्या भी कर दी थी।

महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने और उनके साथ कथित तौर पर गैंगरेप करने की ये जघन्य घटना गत चार मई को हुई थी। जिन महिलाओं को दरिदों ने निर्वस्त्र घुमाया था, उनमें से एक के भाई को भीड़ ने उसी दिन में मार डाला था।

दरअसल अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई की मांग को लेकर गत तीन मई को मणिपुर में घाटी-बहुल मैतेई और पहाड़ी-बहुसंख्यक कुकी जनजाति के बीच हिंसा भड़क उठी। पहाड़ी क्षेत्रों में आदिवासी एकजुटता रैली के तुरंत बाद झड़पें शुरू हो गईं थीं।

फर्जी खबर से भड़की थी भीड़

पुलिस सूत्रों के अनुसार, दोनों महिलाएं एक छोटे समूह का हिस्सा थीं, जो चार मई को एक जंगली इलाके की ओर सुरक्षा के लिए भाग गई थीं। इसी दौरान भीड़ ने एक गांव पर धावा बोला। भीड़ एक फर्जी वीडियो से गुस्साई हुई थी। उस वीडियो में दावा किया गया था कि उनके समुदाय की महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था। गुस्साई भीड़ ने उसका बदला लेने के लिए दूसरे समुदाय की महिलाओं का पीछा किया, जो अपनी सुरक्षा के लिए जंगलों में छिपी हुई थीं।

एक महिला के शव की तस्वीर झूठे आरोप के साथ वायरल हुई थी

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्लास्टिक बैग में लिपटे एक महिला के शव की तस्वीर झूठे आरोप के साथ वायरल हुई। आरोप लगाया गया कि यह एक मैतेई महिला है, जिसके साथ कुकी पुरुषों ने बलात्कार किया और हत्या कर दी। लेकिन तस्वीर में दिख रही महिला की पहचान दिल्ली की आयुषी चौधरी के रूप में की गई, जिसे 2022 में उसके माता-पिता ने मार डाला था। मणिपुर में तीन मई को मैतेई और कुकी के बीच झड़प के बाद यह झूठी तस्वीर जारी की गई थी और अगले ही दिन कुकी महिलाओं के साथ दरिंदगी हुई।

जंगल में छिप रही थीं महिलाएं

जंगल में छिप रहीं महिलाओं के समूह में दो पुरुष और तीन महिलाएं थीं। तीन लोग एक ही परिवार से थे। इनमें एक 56 वर्षीय व्यक्ति, उनका 19 वर्षीय बेटा और 21 वर्षीया बेटी। उनके साथ दो महिलाएं और थीं, जिनकी उम्र क्रमशः 42 और 52 साल की थी।

800 से 1000 लोगों की भीड़ ने किया था हमला

एफआईआर के अनुसार जंगल की ओर जा रहे समूह को नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन की एक पुलिस टीम मिली। पुलिस स्टेशन से लगभग दो किमी दूर पुलिसकर्मियों के साथ महिलाओं के इस समूह पर कथित तौर पर लगभग 800 से 1,000 लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया। भीड़ ने कथित तौर पर महिलाओं के समूह को पुलिस की हिरासत से छीन लिया। कथित तौर पर 19 वर्षीय किशोर की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। लड़के ने भीड़ से अपनी 21 वर्षीय बहन को बचाने की कोशिश की थी।

महिलाओं के रिश्तेदारों द्वारा दर्ज कराई गई पुलिस शिकायत से पता चलता है कि उनमें से एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। भीड़ ने महिलाओं को निर्वस्त्र कर रोड पर और फिर खेत में घुमाया। पुलिस ने कहा कि शिकायत के आधार पर 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी। मामला 21 मई को नोगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया गया, जहां घटना हुई थी।

एक आरोपित गिरफ्तार

उल्लेखनीय है कि मणिपुर में हिंसा भड़कने के दिन तीन मई से ही इंटरनेट बंद कर दिया गया था। यह वीडियो बुधवार को सामने आया और तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो वायरल होने के एक दिन बाद भीड़ में से शामिल एक दरिंदे हेराडास को घटना के दो महीने से अधिक समय बाद आज गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस ने कहा कि 32 वर्षीय व्यक्ति को वीडियो में हरे रंग की टी-शर्ट में देखा गया था। पुलिस चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक के जरिए वीडियो में दिख रहे अन्य आरोपितों की पहचान स्थापित करने की कोशिश कर रही है और लगभग एक दर्जन टीमें मामले पर काम कर रही हैं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि 77 दिनों तक कोई काररवाई क्यों नहीं की गई।

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