रेलवे को झटका : रद करनी पड़ी निजी ट्रेनों के संचालन के लिए 30 हजार करोड़ की बोली प्रक्रिया
नई दिल्ली, 18 अग्स्त। देश में निजी ट्रेनों के संचालन का भारतीय रेलवे का प्रयास फिलहाल फलीभूत होता नहीं प्रतीत हो रहा है क्योंकि इस प्रोजेक्ट में कम्पनियों की अरुचि के कारण रेल मंत्रालय को लगभग 30 हजार करोड़ रुपये की बोली प्रक्रिया निरस्त करनी पड़ी। समझा जाता है कि बोली प्रक्रिया की शर्तें रेलवे के पक्ष में ज्यादा थीं और कम्पनियों को फायदा कम नजर आ रहा था, लिहाजा उन्होंने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर एक वेबसाइट को बताया, ‘निजी ट्रेनों के संचालन के लिए मौजूदा निविदाओं को रद कर दिया गया है और निजी भागीदारी के लिए कुछ प्रावधानों में बदलाव करते हुए नई निविदाएं जल्द ही जारी की जाएंगी। मंत्रालय ने हालिया निविदा प्रक्रिया से सबक लेते हुए नए बिड पर काम भी शुरू कर दिया है।’
12 क्लस्टर में किया जाना है 109 जोड़ी निजी ट्रेनों का संचालन
स्मरण रहे कि पिछले वर्ष जुलाई में ही रेल मंत्रालय ने देश के 12 क्लस्टर में निजी ट्रेनें चलाने के लिए बोली आमंत्रित की थी। इन सभी क्लस्टर में 109 जोड़ी ट्रेनों का संचालन किया जाना है। कहा गया था कि बिड जीतने वाली फर्म को रेवेन्यू बिजनेस मॉडल के आधार पर 35 वर्षों की रियायती अवधि दी जाएगी।
जीएमआर हाईवेज, आईआरसीटीसी, आईआरबी इन्फ्रा क्यूब हाईवे और सीएएफ इंडिया सरीखी कई कम्पनियों ने शुरुआती तौर पर इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखाई थी। लेकिन आरएफपी चरण यानी फाइनेंशियल बिडिंग के दौर तक आते-आते मैदान में सिर्फ दो कम्पनियां – आईआरसीटीसी और मेघा इंजीनियरिंग एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर बची रह गईं। इन दोनों कम्पनियों ने भी सिर्फ दो क्लस्टर में ही ट्रेन चलाने में रुचि दिखाई। इन्हीं सब वजहों से मंत्रालय ने बोली प्रकिया रद कर दी और अब नए सिरे से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया है।