ओडिशा में NDA को झटका : नवीन पटनायक का गठजोड़ से इनकार, भाजपा अकेले लड़ेगी चुनाव
भुवनेश्वर, 22 मार्च। ओडिशा में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को बड़ा झटका दिया, जब राज्य में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) ने भाजपा के साथ गठजोड़ से इनकार कर दिया। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने बीजेडी के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया और लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनावों में सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की।
ओडिशा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनमोहन सामल ने कहा कि पार्टी ओडिशा की सभी 21 लोकसभा और 147 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘4.5 करोड़ ओडिशावासियों की आशा, अभिलाषा और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में विकसित भारत तथा विकसित ओडिशा बनाने के लिए भाजपा इस बार लोकसभा की सभी 21 और विधानसभा की सभी 147 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।’
सामल ने कहा, “देशभर में जहां भी ‘डबल इंजन’ की सरकार रही है, वहां विकास व गरीब कल्याण के कार्यों में तेजी आई है और राज्य हर क्षेत्र में आगे बढे हैं। लेकिन आज ओडिशा में मोदी सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएं जमीन पर नहीं पहुंच पा रही हैं, जिससे ओडिशा के गरीब बहनों-भाइयों को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘ओडिशा-अस्मिता, ओडिशा गौरव और ओडिशा के लोगों के हित से जुड़े अनेक विषयों पर हमारी चिंताएं हैं।’ सामल ने बीजद की ओर से केंद्र सरकार के अनेक राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर समर्थन देने के लिए प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी के प्रति आभार व्यक्त किया।
21 लोकसभा सीटों और 147 सदस्यीय विधानसभा के लिए एक साथ चुनाव होने हैं
राज्य की सभी 21 लोकसभा सीटों और 147 सदस्यीय विधानसभा के लिए एक साथ चुनाव से पहले राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के बीच गठबंधन को लेकर कई हफ्तों से अटकलें लगाई जा रही थीं। इन अटकलों को उस समय और बल मिला था, जब ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी माने जाने वाले वी.के. पांडियन ने कहा था, ‘चुनाव जीतने के लिए भाजपा और बीजद को एक-दूसरे की जरूरत नहीं है, लेकिन कुछ चीजें राजनीति से परे होती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ‘बड़े मकसद’ के लिए एक साथ आना चाहते हैं।’
भाजपा और बीजद 1998 से 2009 तक गठबंधन में रहे
उल्लेखनीय है कि भाजपा और बीजद 1998 से 2009 तक गठबंधन में रहे। पिछले एक दशक से अधिक समय में भाजपा ने राज्य में कांग्रेस को पूरी तरह खत्म कर दिया और मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी है। फिलहाल इस बार ऐन चुनाव के पहले नवीन पटनायक की पार्टी ने भाजपा से किनारा कर लिया।