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बिहार : नीतीश सरकार को 33 दिनों में दूसरा झटका, कार्तिक कुमार के बाद कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का इस्तीफा

बिहार : नीतीश सरकार को 33 दिनों में दूसरा झटका, कार्तिक कुमार के बाद कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का इस्तीफा

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पटना, 2 अक्टूबर। बिहार की महागठबंधन सरकार में अंदरूनी खींचतान जारी है। इस क्रम में नीतीश कैबिनेट को 33 दिनों में दूसरा झटका लगा, जब कानून मंत्री कार्तिक कुमार के बाद कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने भी रविवार को इस्तीफा दे दिया। नीतीश सरकार में मंत्री के तौर 16 अगस्त को शपथ लेने वाले कार्तिक कुमार ने 31 अगस्त को इस्तीफा दिया था।

पिछले कुछ दिनों से बिहार में जारी भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को सौंपा है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष व सुधाकर सिंह के पिता जगदानंद सिंह ने खुद इसकी पुष्टि की।

सुधाकर सिंह के पिता जगदानंद बोले – किसानों की उपेक्षा से आहत थे कृषि मंत्री

कृषि मंत्री के इस्तीफे की चर्चा करते हुए जगदानंद सिंह ने कहा कि आज गांधी जयंती और शास्त्री जी की जयंती है। दोनों नेताओं ने हमेशा किसानों की चिंता की। किसान देश की जरूरत हैं। कृषि मंत्री हमेशा किसानों का सवाल उठाते रहते थे।  किसानों के साथ राज्य में न्याय नहीं हो रहा। अपनी उपज को बेचने के लिए किसानों के पास आज कोई मंडी नहीं है। इस वजह से कृषि मंत्री बहुत आहत हैं।

सरकार बनने के बाद से ही अपने बयानों को लेकर लगातार चर्चा में थे सुधाकर सिंह

दरअसल, सुधाकर सिंह सरकार बनने के बाद से ही अपने बयानों को लेकर लगातार चर्चा में थे। सार्वजनिक रूप से और खुले मंच से उन्होंने अपनी सरकार और अपने विभाग की जमकर मुखालफत की। उन्होंने कैमूर की एक सभा में यहां तक कह दिया था कि उनके विभाग के पदाधिकारी चोर हैं और मंत्री चोरों के सरदार।

नीतीश सरकार के कृषि रोडमैप पर भी उठाया था सवाल

सुधाकर सिंह ने नीतीश सरकार के कृषि रोडमैप पर भी सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि कृषि रोड मैप में काफी गड़बड़ियां है। इसकी वजह से विभाग के अधिकारी किसानों की हमारी कर रहे हैं। जनता को उन्होंने अपना मोबाइल नंबर भी दिया और यह कहा कि आप लोग धरना प्रदर्शन करते रहें ताकि यह लगे कि कृषि विभाग में गड़बड़ी बरकरार है। वरना, यह लगेगा कि सब कुछ ठीक हो गया है। उन्होंने अपने विभाग में व्याप्त बड़े स्तर पर घूसखोरी का आरोप लगाया।

सुधाकर सिंह के बयान से राजद और जदयू के आपसी हालात असहज हो रहे थे। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने सुधाकर सिंह के खिलाफ कई बार बयानबाजी भी की। उन्हें सलाह दी जा रही थी कि वह मंत्री हैं और अपने विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों पर काररवाई कर सकते हैं। उन्हें कोई दिक्कत है तो तेजस्वी यादव से विमर्श करें। बावजूद इसके सुधाकर सिंह ने अपना स्टैंड वापस नहीं लिया और आज गांधी जयंती के अवसर पर अपना इस्तीफा सरकार को भेज कर सबको चौंका दिया।

सुधाकर सिंह पर लगा था चावल घोटाले के आरोप

गौरतलब है कि मंत्री पद की शपथ लेने के बाद ही सुधाकर सिंह पर आरोप लगा था कि वह भी उन लोगों में शामिल हैं, जिनपर एसएफसी (एसएफसी) के करोड़ों रुपये के चावल गबन का आरोप है। इस घोटाले को लोकर वर्ष 2013 में रामगढ़ थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था।

आरोप था कि सुधाकर सिंह ने भी 69 लाख रुपये का चावल एसएफसी में जमा नहीं करवाया था, जिसमें 10 लाख 50 हजार की रिकवरी विभाग की तरफ से कर ली गई, लेकिन बाकी बचे रुपयों के लिए कानूनी काररवाई की जा रही है। चावल गबन के मामले में सुधाकर सिंह के अलावा 68 और आरोपित हैं, जिन्हें बकाया पैसे जमा करने हैं। इनमें सुधाकर सिंह सहित कई आरोपितों ने अब तक बकाया पैसा नहीं लौटाया है।

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