वाराणसी, 3 जनवरी। धार्मिक नगरी वाराणसी में गंगा उस पार आकार ले चुकी टेंट सिटी को लेकर संत-महंत आमने-सामने आ गए हैं। सोशल मीडिया वार-पलटवार का केंद्र बनता जा रहा है। अगले हफ्ते सीएम योगी टेंट सिटी का शुभारंभ करेंगे। इसमें रहने के लिए काफी संख्या में बुकिंग भी हो चुकी है।
संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने टेंट सिटी को लेकर एक फोटो और वीडियो ट्वीट कर निशाना साधा। उन्होंने लिखा कि ‘गंगाजी के पार रेत पर टेंट सिटी का असर। चहुंओर गंदगी।’ फोटो और वीडियो में दूर तक मानव मल फैला दिख रहा है।
वहीं, सतुआ बाबा आश्रम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर संतोष दास ने कहा कि टेंट सिटी कोई नई अवधारणा नहीं है बल्कि यह वर्षों से कुंभ के दौरान प्रयागराज में संगम तट पर बसाई जाती है। वहां लाखों लोग आते हैं। टेंट सिटी में संत महंत कल्पवास करते हैं। वैसे ही अध्यात्म को काशी में टूरिज्म से जोड़ा जा रहा है।
संकटमोचन के महंत प्रोफेसर विश्वम्भरनाथ ने इस मसले पर कहा, ‘मैंने अपने ट्वीट में जो देखा, वही दिखाया और वही कहा भी है। इसका प्रभाव अथवा दुष्प्रभाव किन रूपों में सामने आ सकता है। इस पर काशी के प्रबुद्धजनों, धर्माचार्यों और विषय विशेषज्ञों को बात करनी चाहिए।’
महंत और संत के साथ ही कई अन्य लोगों ने भी ट्वीट किया। प्रो. एनके दुबे ने लिखा है कि अब तक गंगा किनारे रेत का इलाका लगभग पूरी तरह प्रदूषण मुक्त था, लेकिन अब रेत में अपशिष्टों के डंप होने की आशंका प्रबल हो गई है।
प्रयागराज में गंगा किनारे बसाई जाने वाली टेंट सिटी से काशी के टेंट सिटी की तुलना पर कई लोगों ने यह तर्क दिया है कि प्रयाग में टेंट सिटी विशुद्ध धार्मिक उद्देश्य से बसाई जाती है जबकि काशी में बसाई जा रही टेंट सिटी का उद्देश्य विशुद्ध व्यापारिक है।