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रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर : भारत-जापान मैत्री का अनूठा प्रतीक, पीएम मोदी ने शिंजो आबे संग 2015 में रखी थी नींव

रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर : भारत-जापान मैत्री का अनूठा प्रतीक, पीएम मोदी ने शिंजो आबे संग 2015 में रखी थी नींव

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वाराणसी, 15 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गुरुवार को जिन परियोजनाओं का लोकार्पण किया, उनमें रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का विशेष महत्व है क्योंकि देश की सांस्कृतिक राजधानी के मध्य में 186 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह सेंटर भारत व जापान की मैत्री का अनूठा प्रतीक है।

जापानी और भारतीय वास्तु शैलियों का संगम में रुद्राक्ष

दिलचस्प तो यह है कि जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे जब दिसम्बर, 2015 में भारत दौरे पर आए थे तो पीएम मोदी उन्हें लेकर वाराणसी भी आए थे। उस दौरान दोनों नेता गंगा आरती के साक्षी बने थे। उसी दौरे में दोनों नेताओं ने इस महात्वाकाक्षी परियोजना की आधारशिला रखी थी, जिसमें जापानी और भारतीय वास्तु शैलियों का संगम दिखाई पड़ता है।

सांस्कृतिक आयोजनों के लिए 1,200 क्षमता वाला आदर्श स्थल

रुद्राक्ष के बनने से शहर में सांस्कृतिक और प्रवासी भारतीय दिवस जैसे वैश्विक आयोजनों के लिए जगह की कमी नहीं रहेगी। इसके अलावा प्रदर्शनी और मेलों के साथ ही पर्यटन व कारोबार से जुड़े सरकारी आयोजन भी यहां आसानी से हो सकते हैं। इस सेंटर में एक साथ 1,200 लोगों के बैठने की व्यवस्था है।

बड़े हाल को लोगों की संख्या के मुताबिक दो हिस्सों में विभक्त भी किया जा सकता है। पूर्णत: वातूनुकुलित सेंटर में बड़े हॉल के अलावा 150 लोगों की क्षमता का एक मीटिंग हाल है। इसके अतिरिक्त यहां एक वीआईपी कक्ष और चार ग्रीन रूम भी हैं।

शिवलिंग के आकार जैसी छत, बाहरी हिस्से में 108 रुद्राक्ष

गौर करने वाली बात यह है कि सेंटर की छत शिवलिंग के आकार में निर्मित है। सेंटर के बाहरी हिस्से में एल्युमिनियम निर्मित 108 सांकेतिक रुद्राक्ष लगे हैं। तीन एकड़ में तैयार कन्वेंशन सेंटर परिसर में जापानी शैली का गार्डन और लैंडस्केपिंग की गई है। पार्किंग सुविधा संग सीसीटीवी कैमरे हैं। सौर ऊर्जा की भी व्यवस्था की गई है।

जापानी कम्पनी फुजिता कॉरपोरेशन ने किया है निर्माण

रुद्राक्ष को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी ने फंडिंग किया है। डिजाइन जापान की कम्पनी ओरिएंटल कंसल्टेंट ग्लोबल ने किया है और निर्माण का काम भी जापान की फुजिता कॉरपोरेशन नाम की कम्पनी ने किया है। रुद्राक्ष में छोटा जैपनीज गार्डन बनाया गया है। 110 किलोवॉट की ऊर्जा के लिए सोलर प्लांट लगा है। वीआईपी रूम और उनके आने-जाने का रास्ता भी अलग से है।

रुद्राक्ष को वातानुकूलित रखने के लिए इटली के उपकरण लगे है। दीवारों पर लगी ईंट भी ताप को रोकती हैं और कॉन्क्रीट के साथ फ्लाई ऐश का भी इस्तेमाल किया गया है। निर्माण और उपयोग की चीजों को देखते हुए ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट की ओर से रुद्राक्ष को ग्रेडिंग तीन मिली है। रुद्राक्ष में कैमरा समेत सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम है। आग से भी सुरक्षा के उपकरणों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।

पीएम मोदी बोले – बनारस की नई पहचान बनेगा सेंटर

रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘कोरोना काल में जब दुनिया ठहर सी गई, तब काशी संयमित और अनुशासित तो हुई, लेकिन सृजन और विकास की धारा अविरल बहती रही। काशी के विकास का यह आयाम यह इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एंड कन्वेंशन सेंटर – रुद्राक्ष आज इसी रचनात्मकता और गतिशीलता का परिणाम है। बनारस के तो रोम-रोम से गीत संगीत और कला झरती है। यहां गंगा के घाटों पर कितनी ही कलाएं विकसित हुई हैं, ज्ञान शिखर तक पहुंचा है और मानवता से जुड़े कितने गंभीर चिंतन हुए हैं। इसीलिए, बनारस गीत-संगीत का, धर्म-अध्यात्म का और ज्ञान-विज्ञान का एक बहुत बड़ा ग्लोबल सेंटर बन सकता है। महादेव के आशीर्वाद से आने वाले दिनों में यह सेंटर बनारस की एक नई पहचान बनेगा।’

जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे को भी किया याद

प्रधानमंत्री मोदी ने साथ ही भारत-जापान के रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा, ‘आज के इस आयोजन में एक और व्यक्ति हैं, जिनका नाम लेना मैं भूल नहीं सकता। जापान के ही मेरे एक और मित्र – शिंजो आबे जी। मुझे याद है, शिंजो आबे जी जब प्रधानमंत्री के तौर पर काशी आए थे तो रुद्राक्ष के आइडिया पर उनसे मेरी चर्चा हुई थी। चाहे स्ट्रैटिजिक एरिया हो या इकनॉमिक एरिया, जापान आज भारत के सबसे विश्वसनीय दोस्तों में से एक है। हमारी दोस्ती को इस पूरे क्षेत्र की सबसे नैचुरल पार्टनरशिप्स में से एक माना जाता है।’

काशी के कलाकारों को मिला विश्वस्तरीय मंच

पीएम मोदी ने कहा, ‘काशी से विश्वस्तरीय साहित्यकार, संगीतकार और अन्य कलाओं के कलाकारों ने विश्व स्तर पर धूम मचाई है, लेकिन काशी में ही उनके कलाओं के प्रदर्शन के लिए कोई विश्वस्तरीय सुविधा नहीं थी। आज मुझे खुशी हो रही है कि काशी के कलाकारों को अपनी विद्या दिखाने के लिए, अपनी कला दिखाने के लिए एक मंच मिल रहा है।’

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