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यूपी विधानसभा के मॉनसून सत्र का पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ा, सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित

यूपी विधानसभा के मॉनसून सत्र का पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ा, सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित

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लखनऊ, 7 अगस्त। उत्तर प्रदेश विधानसभा में मॉनसून सत्र का पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया। समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायकों में महंगे टमाटर और मणिपुर में हुई हिंसा पर चर्चा कराने की मांग को लेकर वेल में उतार कर नारेबाजी की। कांग्रेस और रालोद के विधायकों ने भी सपा की इस मांग का समर्थन किया। हालांकि विपक्ष की यह मांग विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने ठुकरा दी, लेकिन विपक्षी नेता अपनी मांग पर अड़े रहे। दो बार के स्थगन के बाद भी विपक्षी सदस्यों का विरोध जारी रहा तो सदन को मंगलवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

उम्मीदों के अनुरूप सोमवार को पूर्वाह्न सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सपा विधायकों ने ‘मणिपुर बर्निंग’, ‘किसान बेहाल युवा बेरोजगार’, ‘टमाटर दो सौ के पार-हटाओ भाजपा सरकार’, जैसे नारे लिखी तख्तियां हाथ में लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। सपा विधायक ज़ाहिद बेग सहित तो अपने कुर्ते की ऊपर मणिपुर हिंसा के साथ टमाटर की माला पहन कर सदन में आए थे।

विपक्षी विधायक जब सदन में महंगे टमाटर को लेकर इस तरह से विरोध कर रहे थे, उसी दौरान सपा विधायक रविदास महरोत्रा, कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा तथा अन्य विपक्षी विधायकों ने सदन की कार्यवाही रोककर मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई हिंसा पर चर्चा कराने की मांग की। इस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने पीठ से इस चर्चा को कराने से इनकार कर दिया। इसके बाद सपा और रालोद के सदस्य नारेबाजी करते हुए वेल में उतर आए तो विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।

इसके बाद जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्षी सदस्य अपनी मांग को लेकर हंगामा करने लगे। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि दूसरे राज्य की घटनाओं की चर्चा सदन में कराने की परंपरा नहीं है और ना ही इस संबंध में कोई नियम है। इसलिए मणिपुर पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती है। इस पर नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने सदन में मणिपुर की हिंसा पर चर्चा कराने की मांग कर दी। उन्होने कहा कि इस मामले में सदन में चर्चा होनी चाहिए क्योंकि दुनियाभर में इस घटना की निंदा हो रही है। यह बहुत गंभीर मामला है और नेता सदन को सच्चे योगी के रूप में इस घटना की निंदा करनी चाहिए।

इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष सदन को राजनीति का विषय ना बनाएं। मणिपुर हिंसा की जहां निंदा होनी चाहिए थी, वहां बहुत निंदा हो चुकी है। अध्यक्ष के इस कथन के बाद सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा तेज हो गया और इस बीच सदन के पटल पर एक-एक कर 13 विधेयक पटल पर रखे गए। सरकार की इस कार्यवाही पर सपा नेता लालजी वर्मा ने आपत्ति की। उनके इस कथन पर विधानसभा अध्यक्ष ने ध्यान नहीं दिया और सदन की कार्यवाही मंगलवार की सुबह तक के लिए स्थगित कर दी।

अतीक-अशरफ समेत 10 पूर्व विधायकों को दी गई श्रद्धांजलि

इसके पूर्व विधानसभा में जल्‍द ही प्रश्‍नकाल खत्‍म हुआ तो पूर्व विधायकों के निधन का प्रस्ताव आया, लेकिन हंगामा जारी रहा। मणिपुर पर चर्चा कराने की मांग जारी रही तो अध्यक्ष ने कहा ऐसा पहले कभी नही हुआ कि शोक प्रस्ताव के वक्त शोर शराबा होता रहे। सदन में खालिद अहमद अशरफ और अतीक अहमद को भी श्रद्धाजंलि दी गई। इसके अलावा हरिशंकर तिवारी, अमर सिंह, सुजान सिंह बुंदेला और अबरार अहमद समेत 10 पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि दी गई।

विधानसभा की नई नियमावली भी पेश

उधर, उत्तर प्रदेश विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली 2023 भी सदन में पेश की गई। यह नियमावली 1965 में बनी नियमावली का स्थान लेगी। इस पर चर्चा बुधवार को होगी।

ब्रजेश पाठक बोले – सपा का कोई एजेंडा नहीं

इस बीच सत्र का पहला दिन खत्म होने के बाद सूबे के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विपक्ष पर निशाना साधा और कहा कि विपक्ष पूरी तरह से डिरेल है। उसकी कोई नीति नहीं है। एजेंडा नहीं है। हमेशा अराजकता की बातें करना विपक्षी नेताओं का काम रह गया है। गुंडई करने वालों को पल्लवित करना, हमेशा से सपा नेताओं की नीति रही है। उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार चाहती थी कि पानी कम बरसा है, कुछ जिलों में बाढ़ आई है, इस पर चर्चा होनी चाहिए।’ महंगाई और मणिपुर पर चर्चा के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘विपक्ष इस मामले में नोटिस दे, हम चर्चा के लिए तैयार हैं।’

हम चर्चा को तैयार हैं : सीएम योगी

वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा है कि सदन में सार्थक चर्चा करनी चाहिए। सरकार हर स्तर पर जवाब देने को तैयार है। उत्तर प्रदेश ने पिछले छह सालों के दौरान विकास की एक नई ऊंचाई को छुआ है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को दोगुना किया गया। बीमारू राज्य की श्रेणी से हम बाहर आ चुके हैं। पूर्वांचल के कई जिले सूखा प्रभावित हो गए है। हम इसके समाधान के मुद्दों पर चर्चा को तैयार है, पर विपक्ष सदन में चर्चा करने के बजाए हंगामा करने पर तुला है।’

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