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विजयादशमी उत्सव पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले – जनसंख्या नियंत्रण पर समग्र नीति की जरूरत

विजयादशमी उत्सव पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले – जनसंख्या नियंत्रण पर समग्र नीति की जरूरत

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नागपुर, 5 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने जनसंख्या नियंत्रण पर जोर देते हुए केंद्र सरकार से एक समग्र नीति बनाने की अपील की है, जिसमें किसी को भी विशेषाधिकार या छूट नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बुधवार को यहां आरएसएस मुख्यालय पर आयोजित परम्परागत विजयादशमी उत्सव पर अपने संबोधन में ये बातें कहीं।

खास बात यह रही कि ख्यातिनाम पर्वतारोही व माउंट एवरेस्ट विजेता संतोष यादव इस वर्ष आरएसएस के दशहरा उत्सव की मुख्य अतिथि रहीं। यह पहला मौका था, जब आरएसएस ने किसी महिला को अपने दशहरा कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनाया। संतोष यादव ने सरसंघचालक भागवत के साथ आरएसएस मुख्यालय में परंपरागत शस्त्र पूजा की।

जनसंख्या नियंत्रण में हमारे समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा

मोहन भागवत ने इस अवसर पर कहा, ‘जनसंख्या पर एक समग्र नीति बने, सब पर समान रूप से लागू हो, किसी को छूट नहीं मिले, ऐसी नीति लानी चाहिए। 70 करोड़ से ज्यादा युवा हैं हमारे देश में। चीन को जब लगा कि जनसंख्या बोझ बन रही है तो उसने रोक लगा दी। हमारे समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा। नौकरी-चाकरी में भी अकेली सरकार और प्रशासन कितना रोजगार बढ़ा सकती है? समाज अगर ध्यान नहीं देता है तो होता है।’

‘समाज में समानता और सबको सम्मान का भाव रखना होगा

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘मंदिर, पानी, श्मसान सबके लिए समान हों, इसकी व्यवस्था तो सुनिश्चित करनी ही होगी। ये घोड़ी चढ़ सकता है, वो घोड़ी नहीं चढ़ सकता, ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें तो हमें खत्म करनी होंगी। सबको एक-दूसरे का सम्मान करना होगा। हमें समाज का सोचना होगा, सिर्फ स्वयं का नहीं। कोरोना काल में समाज और सरकार ने एकजुटता दिखाई तो जिनकी नौकरी गई, उन्हें काम मिला। आरएसएस ने भी रोजगार देने में मदद की। उधर, सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि लोग बीमार ही नहीं हों। उपचार तो बीमारी के बाद होता है।

संस्कार सिर्फ स्कूल-कॉलेजों से नहीं बन सकते

उन्होंने कहा, ‘सामाजिक आयोजनों में, जनमाध्यमों के द्वारा, नेताओं के द्वारा संस्कार मिलते हैं। केवल कॉलेजों से संस्कार नहीं मिलते हैं। केवल स्कूली शिक्षा पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। सबसे ज्यादा प्रभाव घर के वातावरण, समाज के वातावरण का होता है। नई शिक्षा नीति की बहुत बातें हो रही हैं, लेकिन क्या हम अपनी भाषा में पढ़ना चाहते हैं? एक भ्रम है कि अंग्रेजी से रोजगार मिलता है। ऐसा नहीं है।’

जो काररवाइयां चल रही हैं, भोले मन से समाज उसमें फंसे नहीं’

मोहन भागवत ने गैर-कानूनी घोषित किए गए इस्लामी कट्टरपंथी संगठन पीएफआई पर हुई काररवाइयों की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘वे हमारे बीच दूरियां बढ़ाने के लिए सतत प्रयास करते रहते हैं, जिससे देश में आतंक का वातावरण बने। किसी को कोई डर न रहे, अनुशासन न रहे, ऐसा प्रयास हमेशा चलते रहते हैं। हम उनको पैठ दें, इसलिए वो हमसे नजदीकी जताते हैं। जाति, पंथ, संप्रदाय के नाम पर वो हमारे हमदर्द बनके आते हैं जबकि उनका अपना हित होता है। वो अपने हितों के लिए देश-समाज के विरोधी बन जाते हैं। उनके खिलाफ जो काररवाइयां चल रही हैं, भोले मन से समाज उसमें फंसे नहीं।’

रास्ता निकालने वाले को लचीलापन धारण करना पड़ता है

भागवत ने कहा, ‘कोरोना के विपदा से बाहर आने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे रास्ते पर आ रही है और वो आगे जाएगी, इसकी भविष्यवाणी पूरी दुनिया के विशेषज्ञ कर रहे हैं। खेल क्षेत्र में भी बहुत सुधार हुआ है। खिलाड़ियों के प्रदर्शन से हमारा सीना गौरव से फूल जाता है। हमें प्रगति करनी है तो स्वयं को जानना होगा। हमें परिस्थितियों के अनुकूल लचीला होना पड़ता है। हालांकि, हम ये देखना होगा कि कितना लचीला होना और किन परिस्थितियों में होना है। अगर वक्त की मांग के अनुसार खुद को नहीं बदलेंगे तो यह हमारी प्रगति का बड़ा बाधक साबित होगा।’

आरएसएस में हमेशा होता रहा है महिलाओं का सम्मान

उन्होंने कहा, ‘आरएसएस के कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी डॉक्टर साहब (डॉक्टर हेडगेवार) के वक्त से ही हो रही है। अनसूइया काले से लेकर कई महिलाओं ने आरएसएस के कार्यक्रमों में हिस्सेदारी ली। वैसे भी हम आधी आबादी को सम्मान और उचित भागीदारी तो देनी ही होगी। जो काम पुरुष कर सकता है, वो सब काम मातृशक्ति भी कर सकती है। लेकिन जो काम महिलाएं कर सकती हैं, वो सब काम पुरुष नहीं कर सकते। महिलाओं के बिना समाज की पूर्ण शक्ति सामने नहीं आएगी।’

मुख्य अतिथि संतोष यादव बोलीं – ‘लोग मुझसे पूछते थे, क्या तुम संघी हो

विजयादशमी उत्सव की मुख्य अतिथि पद्मश्री संतोष यादव ने बताया कि उनके आचरण से लोग उनसे पूछते थे कि क्या वह संघी हैं? उन्होंने कहा, ‘मुझे तब पता नहीं होता था कि वो क्या पूछ रहे हैं। मुझे तब पता नहीं था कि संघ क्या है? संघी क्या होता है? आज मेरा प्रारब्ध मुझे संघ के सर्वोच्च मंच पर ले आया।’ उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा, ‘आप जिस संकल्प के साथ, निःस्वार्थ भाव से 97 वर्षों से लगे हुए हैं उन संकल्पों और निःस्वार्थ भावों को और बल दें और आगे बढ़ते रहें। मैं आपके साथ हूं। आपने मुझे बल दिया। हम आपको बल देंगे।’

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