विदेशी निवेश में सुस्ती के बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त और रुपया स्थिर : रिजर्व बैंक
नई दिल्ली, 23 दिसम्बर। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने स्पष्ट किया है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त बना हुआ है, जो 11 माह से अधिक के आयात को पूरा करने में सक्षम है। इसी क्रम में नवम्बर में भारतीय रुपया वास्तविक प्रभावी रूप से लगभग स्थिर बना रहा। हालांकि इस अवधि में रुपये में मामूली गिरावट दर्ज की गई, लेकिन भारत में कीमतें अपने प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों की तुलना में अधिक रहने के कारण इसका प्रभाव काफी हद तक संतुलित हो गया। आरबीआई की दिसम्बर बुलेटिन में यह जानकारी दी गई है।
रुपये में उतार-चढ़ाव पिछले माह की तुलना में कम
अमेरिकी डॉलर में मजबूती, विदेशी निवेशकों के कम निवेश और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता के चलते नवम्बर में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कुछ कमजोर हुआ। बुलेटिन के अनुसार नवम्बर में रुपये में उतार-चढ़ाव पिछले महीने की तुलना में कम रहा और यह कई अन्य मुद्राओं की अपेक्षा अधिक स्थिर बना रहा। दिसम्बर में 19 तारीख तक रुपये में नवम्बर के अंत के स्तर से लगभग 0.8% की गिरावट दर्ज की गई।
पिछले दो माह में निवेश प्रवाह सकारात्मक
वित्त वर्ष 2025-26 में 18 दिसम्बर तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा भारत से शुद्ध निकासी देखी गई है, विशेषकर शेयर बाजार से। पिछले दो माह में निवेश प्रवाह सकारात्मक रहने के बाद दिसम्बर में यह दोबारा नकारात्मक हो गया।
आरबीआई ने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता और घरेलू शेयर बाजार में ऊंचे मूल्यांकन के कारण निवेशक सतर्क रुख अपना रहे हैं, जिससे हाल के महीनों में विदेशी निवेश में कमी आई है।
ईसीबी के पंजीकरण में गिरावट
अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच विदेशी स्रोतों से लिए जाने वाले कर्ज, यानी बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) के पंजीकरण में गिरावट दर्ज की गई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि विदेशों से पूंजी जुटाने की गति धीमी रही। हालांकि, जो कर्ज लिया गया, उसका बड़ा हिस्सा देश में विकास परियोजनाओं और पूंजीगत व्यय के लिए उपयोग किया गया।
भारत का चालू खाता घाटा पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में कम
इसके अलावा, आरबीआई के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में कम रहा। इसका प्रमुख कारण वस्तु व्यापार घाटे में कमी, सेवाओं के निर्यात में मजबूती और विदेशों में कार्यरत भारतीयों द्वारा भेजी गई प्रेषण राशि रही।
विदेशी मुद्रा भंडार 11 माह से अधिक के आयात को पूरा करने में सक्षम
रिजर्व बैंक ने कहा कि हालांकि, देश में आया विदेशी निवेश चालू खाते की आवश्यकताओं से कम रहा, जिसके कारण विदेशी मुद्रा भंडार में कुछ गिरावट देखी गई। इसके बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त बना हुआ है, जो 11 महीनों से अधिक के आयात को पूरा करने में सक्षम है। इसके साथ ही यह देश के कुल विदेशी ऋण के 92% से अधिक को कवर करता है, जिसे आर्थिक स्थिरता के लिहाज से मजबूत स्थिति माना जाता है।
