रेपो दर 5.5 प्रतिशत पर स्थिर, RBI गवर्नर ने आगामी महीनों में रेपो दर में कमी के दिए संकेत
मुंबई, 1 अक्टूबर। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने आज अपनी तीन दिवसीय बैठक के निष्कर्षों की घोषणा की। MPC ने उम्मीद के अनुरूप प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 5.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है। यह निर्णय संकेत देता है कि RBI वर्तमान में महंगाई और आर्थिक वृद्धि के संतुलन पर करीबी नजर रख रहा है और भविष्य में आर्थिक आंकड़ों के आधार पर ही कोई कड़ा कदम उठाएगा। यह लगातार दूसरी बार है, जब रेपो दर को यथावत रखा गया है। इससे पहले, केंद्रीय बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली एमपीसी ने फरवरी से जून तक रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती की थी।
देखा जाए तो अमेरिकी शुल्क के प्रभाव के साथ-साथ पूर्व में नीतिगत दर में की गई कमी और हाल ही में कर दरों में कटौती के परिणामों पर अधिक स्पष्टता की प्रतीक्षा के साथ आरबीआई ने यह निर्णय किया। हालांकि, आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आने वाले महीनों में अमेरिकी शुल्क के किसी भी प्रभाव से अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए रेपो दर में कमी की संभावना के संकेत भी दिए।
केंद्रीय बैंक ने वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 6.8% किया
केंद्रीय बैंक ने मौजूदा परिस्थितियों पर गौर करते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया। साथ ही खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 2.6 प्रतिशत किया है। छह सदस्यीय एमपीसी ने आम सहमति से रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने के पक्ष में मतदान किया। इसके साथ ही MPC ने अपने मौद्रिक नीतिगत रुख को भी ‘न्यूट्रल’ बनाए रखा है। इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक स्थिति के हिसाब से नीतिगत दर में समायोजन को लेकर लचीला बना रहेगा।
जीएसटी में बदलाव से उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि पिछली अगस्त मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद से आर्थिक विकास और महंगाई के समीकरणों में बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हाल ही में जीएसटी में किए गए बदलाव से महंगाई पर नकारात्मक असर पड़ने यानी कीमतें कम होने की उम्मीद है। इसका सीधा मतलब यह है कि जीएसटी की दरों में बदलाव से उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल सकती है, जिससे केंद्रीय बैंक को अपनी भविष्य की मौद्रिक नीति तय करने में मदद मिलेगी।
रुपये के उतार-चढ़ाव पर आरबीआई की पैनी नजर
संजय मल्होत्रा ने कहा कि केंद्रीय बैंक रुपये के उतार-चढ़ाव पर लगातार और करीबी निगरानी रख रहा है और जरूरत पड़ने पर उचित कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने वित्तीय प्रणाली की स्थिति को मजबूत बताते हुए कहा कि शेड्यूल कमर्शियल बैंकों और एनबीएफसी के सिस्टम-लेवल इंडिकेटर्स स्वस्थ बने हुए हैं। बैंकिंग प्रणाली में लिक्विडिटी की स्थिति अनुकूल बनी हुई है, जो इस बात से स्पष्ट है कि पिछली अगस्त की बैठक के बाद से औसत दैनिक लिक्विडिटी 2.1 लाख करोड़ रुपये के सरप्लस में रही है और मनी मार्केट की दरें स्थिर हैं।
अमेरिकी टैरिफ से व्यापार संबंधी अनिश्चितताएं भी बढ़ रहीं
मल्होत्रा ने अमेरिका के भारतीय आयात पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने और एच1-बी वीजा मानदंडों को कड़ा करने का उल्लेख करते हुए कहा कि व्यापार संबंधी अनिश्चितताएं भी बढ़ रही हैं। उल्लेखनीय है कि रुपया, इस साल एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि कमजोर बाहरी मांग के बावजूद, घरेलू मोर्चे पर समर्थन से वृद्धि की संभावना मजबूत बनी हुई है। अनुकूल मानसून, कम मुद्रास्फीति, मौद्रिक नीति में नरमी और हाल के जीएसटी सुधारों के सकारात्मक प्रभाव से इसे और समर्थन मिलने की उम्मीद है।
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया जबकि पूर्व में इसके 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। हालांकि संजय मल्होत्रा ने कहा कि तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) और उसके बाद के लिए पूर्वानुमान पहले के अनुमानों से थोड़े कम रहने की संभावना है। इसका मुख्य कारण व्यापार संबंधी बाधाएं और चुनौतियां हैं। हालांकि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने से मिली गति से इसकी कुछ हद तक भरपाई हुई है।
उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही। यह एक साल से भी ज्यादा समय में सबसे तेज वृद्धि है। महंगाई के मोर्चे पर आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति अनुमान को घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया है जबकि पूर्व में इसके 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। मौजूदा अनुमान आरबीआई के चार प्रतिशत की संतोषजनक सीमा से काफी नीचे है।
केंद्रीय बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। मल्होत्रा ने कहा कि खाद्य पदार्थों की कम कीमतों और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती के कारण मुद्रास्फीति परिदृश्य अधिक अनुकूल हो गया है। उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 2.07 प्रतिशत रही।
ऋण वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए अन्य उपायों की भी घोषणा
आरबीआई गवर्नर ने ने विदेशी मुद्रा नियमों में ढील, बुनियादी ढांचे के वित्त पोषण, नए सार्वभौमिक बैंक लाइसेंसिंग मसौदे, रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण, शेयरों और अन्य वित्तीय साधनों के बदले ऋण देने की सीमा में ढील के साथ ऋण वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए अन्य उपायों की भी घोषणा की।
एमपीसी की अगली बैठक 3-5 दिसम्बर को होगी
एमपीसी ने अपनी मौद्रिक नीति तटस्थ रखा। हालांकि दो बाहरी सदस्यों (नागेश कुमार और राम सिंह) ने उदार रुख अपनाने का पक्ष लिया। समिति के छह सदस्यों में तीन सदस्य बाहर से होते हैं। इसके अन्य सदस्य सौगत भट्टाचार्य (बाह्य सदस्य), डॉ. पूनम गुप्ता और श्री इंद्रनील भट्टाचार्य हैं। एमपीसी की अगली बैठक तीन से पांच दिसम्बर, 2025 को होगी।
