जानेमाने उद्योगपति साइरस मिस्त्री का सड़क हादसे में निधन, पालघर में डिवाइडर से टकराई मर्सडीज कार के उड़े परखच्चे
मुंबई, 4 सितम्बर। टाटा संस के पूर्व चेयरमैन और देश के जानेमाने उद्योगपति साइरस मिस्त्री का रविवार को अपराह्न एक सड़क हादसे में निधन हो गया। अहमदाबाद से मुंबई लौटते समय महाराष्ट्र में पालघर के चरोटी में साइरस मिस्त्री की मर्सडीज कार डिवाइडर से टकरा गई। कार में सवार 54 वर्षीय साइरस सहित दो लोगों की मौत हो गई, जबकि दो अन्य लोग घायल हो गए।
पालघर एसपी के अनुसार अपराह्न करीब 3.15 बजे सूर्या नदी पर बने पुल से गुजर रही कार की एक डिवाइडर से इतनी तेज टक्कर हुई कि उसके परखच्चे उड़ गए। कार में चार लोग सवार थे। जिनमें साइरस मिस्त्री और जहांगीर दिनशा पंडोल की मौके पर ही मौत हो गई जबकि डेरियस पंडोले और अनायता पंडोले घायल हैं, जिन्हें गुजरात के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
कौन थे साइरस मिस्त्री
टाटा के बाद बिजनेस की दुनिया में पारसी समुदाय को एक शानदार ऊंचाई देने वाले साइरस मिस्त्री का जन्म 4 जुलाई, 1968 को देश के जानेमाने उद्योगपति पल्लोनजी मिस्त्री के यहां हुआ था। पल्लोनजी मिस्त्री का कंस्ट्रक्शन में बहुत बड़ा नाम था, जिनका इसी वर्ष जून में 93 वर्ष की उम्र में निधन हुआ था।
लंदन से सिविल इंजीनियरिंग के बाद मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री भी ली
साइरस की शुरुआती शिक्षा मुंबई में कैथेड्रल एवं एंड जॉन कॉनन स्कूल में हुई। उसके बाद उन्होंने इंपीरियल कॉलेज लंदन से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने लंदन बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट में भी मास्टर डिग्री ली और वे इंस्टीट्यूशन ऑफ सिविल इंजीनियर्स के फेलो भी थे।
पिता की भांति आयरिश व भारतीय नागरिकता
पैट्सी पेरिन दुबाश और पल्लोनजी मिस्त्री के सबसे छोटे बेटे साइरस मिस्त्री ने प्रसिद्ध वकील इकबाल छागला की बेटी और देश के प्रसिद्ध भारतीय विधिवेत्ता, राजनयिक और कैबिनेट मंत्री रहे एमसी छागला की पोती रोहिका छागला से शादी की थी। अपने पिता पल्लोनजी मिस्त्री की तरह साइरस मिस्त्री के पास भी आयरिश और भारतीय नागरिकता थी, लेकिन वो स्थाई रूप से मुंबई के निवासी थे।
टाटा समूह के प्रमुख बनने और हटाये जाने की कहानी
साइरस मिस्त्री, जिस शापूरजी पल्लोनजी मिस्त्री परिवार से हैं, उसकी टाटा समूह में सबसे बड़ी होल्डिंग हैं। यानी शापूरजी पल्लोनजी कम्पनी टाटा संस की सबसे बड़ी शेयरधारक है। साल 2006 में साइरस को टाटा समूह के निदेशक मंडल में शामिल किया गया। इसके साथ ही वो टाटा समूह की कई और कम्पनियों जैसे जैसे टाटा संस तथा टाटा एलेक्सी (इंडिया) के निदेशक रहे।
मिस्त्री टाटा समूह की उस पांच सदस्यीय चयन समिति में भी शामिल किए गए थे, जिन्हें टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा के उत्तराधिकारी ढूंढने की जिम्मेदारी दी गई थी। नवंबर, 2011 में मिस्त्री को टाटा समूह का डिप्टी चेयरमैन नियुक्त किया था, जो कि रतन टाटा के बाद सीधे नंबर दो की पोजीशन थी। उसके बाद 28 दिसंबर, 2012 को टाटा समूह के बोर्ड ने सर्वसम्मति से साइरस मिस्त्री को टाटा समूह का छठे अध्यक्ष बने।
लेकिन 24 अक्टूबर 2016 को अचानक टाटा समूह ने चेयरमैन के पद से साइरस मिस्त्री को हटा दिया गया था। रतन टाटा ने साइरस को पद से हटाने के बाद एक बार फिर टाटा समूह की कमान अपने हाथों में ले ली।
टाटा समूह ने जिस तरह से साइरस मिस्त्री को हटाया, उससे पूरा उद्योग जगत हैरान रह गया। आखिर, टाटा समूह और रतन टाटा ने यह फैसला क्यों लिया, आज तक उस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई, लेकिन माना जाता है कि वे टाटा समूह और खासकर रतन टाटा की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। केवल दबे-छुपे में यह बात सामने आई कि साइरस मिस्त्री की अगुआई में टाटा समूह को उम्मीदों के अनुरूप ग्रोथ नहीं मिल पाई।
साइरस मिस्त्री का शापूरजी पल्लोनजी समूह में योगदान
लंदन से शिक्षा लेकर साइरस मिस्त्री सीधे अपने पिता की स्थापित कम्पनी शापूरजी पल्लोनजी से जुड़ गए। अपनी मेहनत और लगन के बल पर मिस्त्री कम्पनी को एक नए मुकाम पर ले गए। उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि वर्ष 1991 के बाद शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप ने जिस नई ऊंचाई को छुआ, उसका सारा श्रेय साइरस मिस्त्री को जाता है। लगभग 23,000 कर्मचारियों वाले शापूरजी पल्लोनजी समूह केवल भारत ही नहीं बल्कि अफ्रीका और पश्चिम एशिया देशों में सफल कारोबार कर रही है।