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यूएफा चैंपियंस लीग : रेयाल मैड्रिड और लिवरपूल की टीमें खिताबी भिड़ंत के लिए तैयार

यूएफा चैंपियंस लीग : रेयाल मैड्रिड और लिवरपूल की टीमें खिताबी भिड़ंत के लिए तैयार

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पेरिस, 28 मई। दुनियाभर के करोड़ों फुटबॉल प्रशंसकों की नजरें पेरिस के स्टेड डी फ्रांस पर लगी हैं, जहां इंग्लिश क्लब  लिवरपूल और स्पेनिश पावर हाउस रेयाल मैड्रिड यूएफा (यूनियन ऑफ यूरोपियन फुटबॉल एसोसिएशंस) चैम्पियंस लीग के खिताबी मुकाबले में आज रात (भारतीय समयानुसार मध्यरात्रि बाद 12.30) आमने-सामने होंगे।

रेयाल के कोच कार्लो एंसेलोटी की निगाहें रिकॉर्ड चौथे खिताब पर

रेयाल मैडिड्र के कोच कार्लो एंसेलोटी की निगाहें रिकॉर्ड पर लगी हैं। दरअसल वह यूरोपीय क्लब फुटबॉल का यह शीर्ष खिताब चार बार जीतने वाले पहले कोच बनना चाहेंगे। उन्होंने 2014 में मैड्रिड के साथ पहली बार खिताब जीता था। इससे पहले वह 2003 और 2007 में इतालवी क्लब एसी मिलान को खिताब दिला चुके हैं। एंसेलोटी मैड्रिड के साथ अपने पहले सत्र में वह स्पेनिश खिताब जीत चुके हैं। मैड्रिड ने 2018 में जिनेडिन जिडान के कोच रहते लिवरपूल को हराकर 13वीं बार यूरोपीय कप जीता था।

जर्गेन क्लॉप के साथ लिवरपूल ने खिताब जीतकर खत्म किया था 30 वर्षों का इंतजार

दूसरी तरफ जर्गेन क्लॉप के साथ लिवरपूल ने 2020 में खिताब जीतकर 30 वर्षों का इंतजार खत्म किया था । पिछले सप्ताह लिवरपूल एक अंक से इंग्लिश प्रीमियर लीग खिताब से चूका है, लेकिन अब उस मायूसी को भुलाकर नजरें इस फाइनल पर लगी होंगी।

रेयाल मैड्रिड व लिवरपूल की नौवीं मुलाकात

यूरोपियन कप/यूएफा चैंपियंस लीग में दोनों टीमों की यह नौवीं मुलाकात है। 1981 से 2009 के बीच लगातार तीन जीत के बाद लिवरपूल की टीम को लगातार पांच मैचों में मायूस होना पड़ा है। इनमें एक ड्रॉ और 2018 के फाइनल सहित चार पराजय शामिल हैं।

फाइनल का जहां तक सवाल है तो दोनों का तीसरी बार आमना-सामना हो रहा है। 1981 में इन दोनों के बीच हुआ पहला फाइनल लिवरपूल ने 1-0 से जीता था जबकि 2018 में रेयाल मैड्रिड ने जर्गेन क्लॉप की टीम को 3-1 से शिकस्त दी थी।

रेयाल के पास 13 तो लिवरपूल छह बार का चैंपियन

खिताब की बात करें तो यूरोपीय इतिहास में सबसे ज्यादा 13 बार रेयाल चैंपियन रहा है जबकि लिवरपूल की निगाहें सातवें खिताब पर लगी हैं। यदि इंग्लिश टीम जीतती है तो वह इतालवी क्लब एसी मिलान (सात खिताब) के साथ संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर आ जाएगी।

यूएफा को लगातार तीसरे वर्ष फाइनल की जगह बदलनी पड़ी

देखा जाए तो यूएफा को लगातार तीसरे वर्ष फाइनल की जगह बदलनी पड़ी है। इस बार कोरोना महामारी के कारण नहीं बल्कि यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण सेंट पीटर्सबर्ग को फाइनल की मेजबानी गंवानी पड़ी। युद्ध चार महीने से जारी है और फाइनल मैच की गेंद पर ‘पीस (शांति)’ लिखा होगा, जिसकी बाद में नीलामी करके रकम शरणार्थियों के लिए दी जाएगी।

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