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राज ठाकरे की चेतावनी – ‘पहली कक्षा से हिन्दी अनिवार्य की गई तो स्कूलों को बंद कराने में संकोच नहीं करेंगे’

राज ठाकरे की चेतावनी – ‘पहली कक्षा से हिन्दी अनिवार्य की गई तो स्कूलों को बंद कराने में संकोच नहीं करेंगे’

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ठाणे, 18 जुलाई। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चेतावनी दी कि यदि राज्य में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिन्दी अनिवार्य की गई, तो वे स्कूलों को बंद कराने में तनिक भी संकोच नहीं करेंगे। जिले के मीरा भयंदर में एक रैली में उन्होंने महाराष्ट्र के लोगों से सतर्क रहने और हिन्दी थोपने की सरकार की किसी भी योजना को विफल करने का आह्वान किया।

उल्लेखनीय है कि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने हाल ही में कड़े विरोध के बाद प्राथमिक विद्यालयों में हिन्दी अनिवार्य करने वाले दो आदेश वापस ले लिए। हालांकि, फडणवीस ने गुरुवार को कहा कि सरकार त्रिभाषा फॉर्मूला जरूर लागू करेगी, लेकिन हिन्दी पहली कक्षा से पढ़ाई जाए या पांचवीं कक्षा से, यह इस मुद्दे का अध्ययन करने के लिए नियुक्त समिति तय करेगी।

राज ठाकरे ने अपने भाषण में फडणवीस को हिन्दी थोपने की चुनौती दी। उन्होंने कहा, ‘जब उन्होंने एक बार कोशिश की थी, तो हमने दुकानें बंद करा दी थीं, और अब अगर हिन्दी थोपी गई (कक्षा 1 से 5 तक) तो हम स्कूल बंद कराने से नहीं हिचकिचाएंगे।’

हिन्दी सिर्फ 200 साल पुरानी, मराठी का इतिहास 2,500-3,000 साल पुराना

मनसे प्रमुख ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हिन्दी को अनिवार्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ठाकरे ने आरोप लगाया कि हिन्दी थोपकर सरकार लोगों की प्रतिक्रिया की परीक्षा ले रही है क्योंकि वह अंततः मुंबई को गुजरात से जोड़ना चाहती है। उन्होंने कहा कि हिन्दी सिर्फ 200 साल पुरानी है जबकि मराठी का इतिहास 2,500-3,000 साल पुराना है।

राज ठाकरे ने आरोप लगाया कि जब गुजरात में बिहार के प्रवासियों को पीटा गया और भगा दिया गया, तो यह कोई मुद्दा नहीं बना, लेकिन महाराष्ट्र में एक छोटी सी घटना राष्ट्रीय मुद्दा बन जाती है। इससे पहले दिन में मनसे के कार्यकर्ताओं ने एक स्थानीय दुकानदार के साथ मारपीट की थी क्योंकि उसने कथित तौर पर मराठी में बात करने से इनकार कर दिया था।

 

निशिकांत को चुनौती – मुंबई आओ, समंदर में डुबो-डुबो के मारेंगे

मनसे प्रमुख ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की कथित ‘पटक पटक के मारेंगे’ टिप्पणी पर भी कड़ी आलोचना की और उन्हें मुंबई आने की चुनौती दी। उन्‍होंने कहा, “एक भाजपा सांसद ने कहा कि मराठी लोगों को पटक-पटक के मारेंगे। तुम मुंबई आओ, मुंबई के समंदर में डुबो-डुबो के मारेंगे।”

‘मराठी नहीं बोली तो थप्‍पड़ तो पड़ेगा ही’

राज ठाकरे ने इस दौरान साफ किया कि महाराष्‍ट्र में रहना है तो मराठी भाषा सीखनी ही होगी। उन्होंने मीरा-भायंदर में मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा एक दुकानदार को मराठी न बोलने पर थप्पड़ मारने की घटना को जायज ठहराते हुए कहा कि अगर कोई मराठी सीखने से इनकार करता है तो थप्पड़ तो पड़ेगा ही।’

हिन्दुत्व की आड़ में हिन्दी थोपने की कोशिश की जा रही

उन्होंने आज़ादी के बाद मोरारजी देसाई और वल्लभभाई पटेल के कथित मराठी विरोधी रुख का भी जिक्र करते हुए कहा कि महाराष्ट्रवासियों को राज्य में हर जगह मराठी में बोलने पर जोर देना चाहिए और दूसरों को भी मराठी भाषा बोलने के लिए प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व की आड़ में हिन्दी थोपने की कोशिश की जा रही है।

हालांकि, राज ने यह भी कहा कि वह महाराष्ट्र के किसी भी अन्य राजनेता से बेहतर हिन्दी बोल सकते हैं क्योंकि उनके पिता हिन्दी में पारंगत थे, और वह किसी भी भाषा के ख़िलाफ़ नहीं थे, बल्कि उसे थोपे जाने का विरोध करते थे।

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