रेलवे बोर्ड ने दी जानकारी : सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई, ओवरस्पीडिंग जैसी कोई बात नहीं
नई दिल्ली, 4 जून। ओडिशा के बालासोर में बीते शुक्रवार को हुए भीषण ट्रेन हादसे को लेकर रेलवे बोर्ड ने रविवार को यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरी घटना समझाने की कोशिश की। रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई है। साथ ही हादसे में ओवरस्पीडिंग जैसी कोई बात नहीं है।
जया वर्मा ने कहा, ‘हम कुछ गलतफहमियों को लेकर जानकारी देना चाहते हैं, ताकि स्थिति स्पष्ट हो। सबसे पहले रिलीज फॉर रेस्क्यू किया और जब यह कंप्लीट हो गया, तब हमने रीस्टोरेशन प्रक्रिया शुरू की।
उन्होंने कहा कि बालासोर जिले में बहनगा बाजार रेलवे स्टेशन पर यह हादसा 2 जून की शाम 6:55 बजे हुआ। कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस स्टेशन पर जो दूसरी गाड़ियां खड़ी थीं, वे इसकी चपेट में आ गईं। उस समय स्टेशन से दो मेल एक्सप्रेस गाड़ियों को अलग-अलग दिशाओं से गुजरना था. स्टेशन पर दो मेन लाइन हैं, जहां ट्रेन बिना रुके जाती है और बगल में जो दो लाइन हैं, उन्हें लूप लाइन कहा जाता है, जहां हम गाड़ी को रोकते हैं।’
लूप लाइन पर खड़ी थीं दो गाड़ियां
रेलवे बोर्ड के अनुसार लूप लाइन पर दो गाड़ियां खड़ी थीं, जिन्हें वहां रोका गया था ताकि बाकी लाइन पर न रुकने वाली गाड़ी गुजर सके। चेन्नई की तरफ से यशवंतपुर एक्सप्रेस बेंगलुरु से आ रही थी और उसकी आवाज आ रही थी। यह गाड़ी कोरोमंडल से कुछ सेकेंड पहले आ रही थी।
हावड़ा की दिशा से शालीमार रेलवे स्टेशन से कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई जाने के लिए आ रही थी, जिसके लिए सिग्नल ग्रीन थे और सब कुछ सेट था। ओवरस्पीडिंग की कोई बात नहीं थी और पायलट को सिग्नल ग्रीन दिख रहा था, इसलिए उसे सीधा जाना था।
ग्रीन सिग्नल के मुताबिक, ड्राइवर को अपनी तय स्पीड के अनुसार बिना रुके आगे जाना था, इसलिए वह 128 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जा रहा था। यशवंत एक्सप्रेस भी 126 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आ रही थी। ओवरस्पीडिंग की कोई बात नहीं थी। पायलट को सिग्नल ग्रीन दिख रहा था, इसलिए उसे सीधा जाना था।
प्रारंभिक जांच में रेलवे सिग्नलिंग की परेशानी पाई गई
रेलवे बोर्ड की सदस्य जया ने कहा कि रेल मंत्री पिछले 36 घंटे से मौके पर हैं और सभी तरह के ऑपरेशन और मदद बचाव कार्य को मॉनिटर कर रहे हैं। प्राथमिक जांच के मुताबिक जो कारण अब तक सामने आए हैं, उसमें सिग्नलिंग में कोई परेशानी पाई गई है और रेलवे सेफ्टी के कमिश्नर की निगरानी में जांच चल रही है। उनकी जांच पूरी हुए बिना हम ज्यादा कुछ नहीं कह सकते।
रेलवे सेफ्टी के कमिश्नर की विस्तृत रिपोर्ट का है इंतजार
जया वर्मा ने कहा, ‘हम इंतजार कर रहे हैं कि रेलवे सेफ्टी के कमिश्नर की विस्तृत रिपोर्ट मिले। दुर्घटना सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस की हुई है, जो सबको समझने की आवश्यकता है। यह कहना गलत होगा कि और ज्यादा ट्रेनों के बीच टक्कर हुई है. सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस का एक्सीडेंट हुआ है। किस वजह से यह हुआ है, हम उसका पता लगा रहे हैं।’
ट्रेन पर आ गया था स्पीड में हुए टकराव का इंपैक्ट
उन्होंने कहा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन बेहद सुरक्षित है और आमतौर पर यह पलटती नहीं है। इस केस में ऐसा हुआ है कि इस स्पीड में जब टकराव का पूरा इंपैक्ट ट्रेन पर आया तो दुनिया में ऐसी कोई टेक्नोलॉजी नहीं है, जो इसके इंपैक्ट को रोक सके। आयरन से भरी हुई मालगाड़ी की सेंटर ऑफ ग्रेविटी और उसके भार के चलते इंपैक्ट पैसेंजर ट्रेन पर आया। मालगाड़ी अपनी जगह से बिल्कुल नहीं हिली।
टकराने के बाद इधर-उधर बिखर गईं ट्रेन की बोगियां
रेलवे बोर्ड की सदस्य ने कहा कि टकराव की वजह से ट्रेन के डिब्बे इधर-उधर बिखर गए। इसकी वजह से कुछ डिब्बे डाउन लाइन पर गुजर रही यशवंतपुर एक्सप्रेस से टकरा गए। इससे यशवंतपुर एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे डिरेल होकर दूसरी तरफ चले गए।
उन्होंने कहा कि स्पॉन्टेनियस रिएक्शन के चलते ही दूसरी ट्रेन में भी कुछ लोगों को गंभीर चोट आई। एक और मालगाड़ी खड़ी थी, इस पर भी उन बिखरे हुए डिब्बों का थोड़ा सा प्रभाव हुआ। इस तरह की घटना में रेलवे का एक प्रोटोकॉल है, जिसके तहत स्टेशन मास्टर ने तुरंत सूचना दी और तुरंत मेडिकल रिलीफ ट्रेन दो जगहों से तुरंत चल पड़ीं।