राहुल गांधी का आरोप – मोदी जी ‘वन मैन शो’ चला रहे, मनरेगा का नाम बदलने के खिलाफ सड़कों पर उतरेगी कांग्रेस
नई दिल्ली, 27 दिसम्बर। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नाम बदलने का निर्णय सीधे पीएमओ ने किया और ऐसा करते समय कैबिनेट एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से विचार-विमर्श नहीं किया गया।
मनरेगा को समाप्त करना अधिकार आधारित परिकल्पना पर आक्रमण
राहुल गांधी ने इसी क्रम में कांग्रेस की ओर से पांच जनवरी, 2026 से ‘मनरेगा बचाओ आंदोलन’ शुरू करने के संदर्भ में कहा, ‘जैसा कि खरगे जी ने कहा है, हम इसका विरोध करेंगे। हम इससे लड़ेंगे और मुझे विश्वास है कि पूरा विपक्ष इस काररवाई के खिलाफ एकजुट होगा।’ उन्होंने कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, ‘मनरेगा सिर्फ एक योजना नहीं थी, बल्कि यह अधिकार आधारित परिकल्पना थी। इस योजना को समाप्त करना इस परिकल्पना पर आक्रमण है।’
मंत्री शिवराज सिंह व कैबिनेट की अनदेखी कर सीधे पीएमओ ने लिया निर्णय
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का कदम देश के संघीय ढांचे कर हमला और सत्ता एवं वित्तीय व्यवस्था का केंद्रीकरण है। उन्होंने कहा, ‘मंत्री (शिवराज) और कैबिनेट से बिना पूछे ही यह निर्णय लिया गया है और सीधा पीएमओ द्वारा यह फैसला लिया गया। वन मैन शो चल रहा है, मोदी जी जो चाहते हैं, वही करते हैं।’
मनरेगा के खात्मे का एक ही मकसद है –
गरीबों के रोज़गार के अधिकार को मिटाना,
राज्यों से आर्थिक और राजनीतिक शक्ति चुराना,
और उस पैसे को अरबपति मित्रों को पकड़ाना।‘एक अकेले’ प्रधानमंत्री की मनमानी का नुकसान पूरा भारत भुगतेगा – रोज़गार खत्म होंगे, ग्रामीण अर्थव्यवस्था टूटेगी।
और,… pic.twitter.com/yH810bEkio
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 27, 2025
गौरतलब है कि संसद ने विपक्ष के हंगामे के बीच गत 18 दिसम्बर को ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ को मंजूरी दी थी। वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा संतुति दिए जाने के बाद अब यह अधिनियम बनने के साथ 20 वर्ष पुराने मनरेगा की जगह ले चुका है।
राहुल गांधी ने कहा, ‘यह भारत के राज्यों पर हमला है क्योंकि वे बस राज्य का पैसा, फ़ैसले लेने का पावर जो राज्य का है, छीन रहे हैं। यह उन राज्यों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमला है क्योंकि मनरेगा का इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए किया जाता था… तो यह राज्यों पर, इस देश के गरीब लोगों पर एक बहुत बड़ा हमला है।’
गरीबों से पैसा छीनकर बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाना ही मकसद
उन्होंने आरोप लगाया कि मनरेगा को कमजोर करने का मकसद गरीबों से पैसा छीनकर बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाना है। उन्होंने कहा, ‘इस फैसले से आदिवासी, दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक और गरीब सामान्य वर्ग को भारी नुकसान होगा जबकि इसका पूरा फायदा अरबपतियों को मिलेगा।’
