राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा – ‘हम सितारों पर पहुंचकर भी अपने पांव जमीन पर रखते हैं’
नई दिल्ली, 25 जनवरी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। अपने संबोधन के शुरुआत में राष्ट्रपति ने देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा, ’74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, देश और विदेश में रहने वाले आप सभी भारत के लोगों को, मैं हार्दिक बधाई देती हूं। जब हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं, तब एक राष्ट्र के रूप में हमने मिल-जुल कर जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं, उनका हम उत्सव मनाते हैं।’
‘आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है भारत‘
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, ‘हम सब एक ही हैं और हम सभी भारतीय हैं। इतने सारे पंथों और इतनी सारी भाषाओं ने हमें विभाजित नहीं किया है बल्कि हमें जोड़ा है। इसलिए हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में सफल हुए हैं। यही भारत का सार-तत्व है। भारत एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए विश्व-मंच पर एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है। संविधान-निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता से मिले मार्गदर्शन के बिना यह प्रगति संभव नहीं थी।’
‘अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत गिने-चुने अग्रणी देशों में शामिल‘
राष्ट्रपति ने कहा, “हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों पर गर्व का अनुभव कर सकते हैं। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, भारत गिने-चुने अग्रणी देशों में से एक रहा है। भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए ‘गगनयान’ कार्यक्रम प्रगति पर है। यह भारत की पहली मानव-युक्त अंतरिक्ष-उड़ान होगी। हम सितारों तक पहुंचकर भी अपने पांव जमीन पर रखते हैं।”
‘महिला सशक्तीकरण तथा महिला व पुरुष के बीच समानता अब सिर्फ नारे नहीं‘
भारत की तरक्की में महिलाओं की भूमिका की तारीफ करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “भारत का ‘मंगल मिशन’ असाधारण महिलाओं की एक टीम द्वारा संचालित किया गया था, और अन्य क्षेत्रों में भी बहनें-बेटियां अब पीछे नहीं हैं। महिला सशक्तीकरण तथा महिला और पुरुष के बीच समानता अब केवल नारे नहीं रह गए हैं। मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं ही आने वाले कल के भारत को स्वरूप देने के लिए अधिकतम योगदान देंगी।”
‘पिछले वर्ष भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया‘
कोविड महामारी के बावजूद अर्थव्यवस्था में वृद्धि की राष्ट्रपति ने तारीफ की। उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। यह उपलब्धि, आर्थिक अनिश्चितता से भरी वैश्विक पृष्ठभूमि में प्राप्त की गई है। सक्षम नेतृत्व और प्रभावी संघर्षशीलता के बल पर हम शीघ्र ही मंदी से बाहर आ गए, और अपनी विकास यात्रा को फिर से शुरू किया।
द्रौपदी मुर्मू ने कहा, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षार्थियों को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करते हुए हमारी सभ्यता पर आधारित ज्ञान को समकालीन जीवन के लिए प्रासंगिक बनाती है। हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों पर गर्व का अनुभव कर सकते हैं। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, भारत गिने-चुने अग्रणी देशों में से एक रहा है।’
‘हम सभी की शांति और समृद्धि के पक्षधर‘
उन्होंने कहा, ‘इस वर्ष भारत G-20 देशों के समूह की अध्यक्षता कर रहा है। विश्व-बंधुत्व के अपने आदर्श के अनुरूप, हम सभी की शांति और समृद्धि के पक्षधर हैं। G-20 की अध्यक्षता एक बेहतर विश्व के निर्माण में योगदान हेतु भारत को अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करती है।’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘मेरे विचार से, ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन ऐसी चुनौतियां हैं जिनका सामना शीघ्रता से करना है। वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और मौसम में बदलाव के चरम रूप दिखाई पड़ रहे हैं। विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए हमें प्राचीन परम्पराओं को नई दृष्टि से देखना होगा। हमें अपनी मूलभूत प्राथमिकताओं पर भी पुनर्विचार करना होगा। परंपरागत जीवन-मूल्यों के वैज्ञानिक आयामों को समझना होगा। अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे इस धरती पर सुखमय जीवन बिताएं तो हमें अपनी जीवन शैली को बदलने की जरूरत है।’
‘मोटे अनाज से लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा‘
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने भारत के सुझाव को स्वीकार किया है और वर्ष 2023 को The International Year of Millets घोषित किया है। यदि अधिक से अधिक लोग मोटे अनाज को भोजन में शामिल करेंगे तो पर्यावरण-संरक्षण में सहायता होगी और लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।
‘मैं बहादुर जवानों की विशेष रूप से सराहना करती हूं‘
अपने 22 मिनट के संबोधन के आखिर में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “मैं किसानों, मजदूरों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भूमिकाओं की सराहना करती हूं, जिनकी सामूहिक शक्ति हमारे देश को ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान’ की भावना के अनुरूप आगे बढ़ने में सक्षम बनाती है। मैं देश की प्रगति में योगदान देने वाले प्रत्येक नागरिक की सराहना करती हूं। मैं उन बहादुर जवानों की विशेष रूप से सराहना करती हूं जो हमारी सीमाओं की रक्षा करते हैं और किसी भी त्याग तथा बलिदान के लिए सदैव तैयार रहते हैं। देशवासियों को आंतरिक सुरक्षा प्रदान करने वाले समस्त अर्ध-सैनिक बलों तथा पुलिस-बलों के बहादुर जवानों की भी मैं सराहना करती हूं। मैं सभी प्यारे बच्चों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए हृदय से आशीर्वाद देती हूं।”