भारतीय संविधान लोगों की उम्मीदों को जाहिर करने के लिए एक बहुत असरदार फ्रेमवर्क : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
नई दिल्ली, 26 नवम्बर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को संसद के संविधान सदन में आयोजित 75वें संविधान दिवस कार्यक्रम में कहा कि 21वीं सदी में हमारा संविधान लोगों की उम्मीदों को जाहिर करने के लिए एक बहुत असरदार फ्रेमवर्क देता है। उन्होंने इस अवसर पर देशवासियों को संविधान दिवस की बधाई दी और संविधान निर्माताओं की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सांसदों की मेहनत की सराहना की।

‘संविधान को अपनाते समय दिए गए तर्क आज भी उतने ही प्रासंगिक’
राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने संबोधन में कहा, ‘संविधान को अपनाने के समय जो तर्क दिए गए थे, वे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। संविधान बनाने वालों का मकसद था कि इसके जरिए हमारी सामूहिक और व्यक्तिगत गरिमा और आत्म-सम्मान मजबूत बने। हमें गर्व है कि हमारे सांसद और संसद ने पिछले दशकों में जनता की आवाज को प्रभावी तरीके से संसद में पहुंचाया।’
President Droupadi Murmu graced the Constitution Day Celebration at the Central Hall of Samvidhan Sadan in New Delhi. The President said that by moving forward in accordance with the constitutional system, our country's executive, legislature, and judiciary have strengthened… pic.twitter.com/tFvqw6FnhY
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 26, 2025
द्रौपदी मुर्मु ने कहा, ‘संविधान के आदर्श सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व के मूल्यों पर आधारित हैं। हमारे संसद सदस्यों ने इन आदर्शों को व्यवहार में उतारने का काम किया है। आज भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है और इसका श्रेय हमारी संस्कृति, संविधान और लोकतंत्र की मजबूत नींव को जाता है।’
संविधान के आदर्शों को बनाए रखने में योगदान देने वाले नेताओं की सराहना की
उन्होंने सभी सांसदों और नेताओं की भूमिका की सराहना की, जिन्होंने संविधान के आदर्शों को बनाए रखने में योगदान दिया। उन्होंने कहा कि तीन तलाक की कुप्रथा पर लगाम लगाने, जीएसटी लागू करने, अनुच्छेद 370 हटाने और नारी शक्ति वंदन अधिनियम जैसे कदमों ने देश में सामाजिक न्याय, आर्थिक एकीकरण और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को नई दिशा दी है।
9 भाषाओं में जारी किया संविधान का डिजिटल संस्करण
राष्ट्रपति मुर्नु ने इस अवसर पर संविधान का डिजिटल संस्करण नौ भाषाओं में जारी किया। इस दौरान उप राष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा उप सभापति हरिवंश, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, राज्यसभा में सदन के नेता जे.पी. नड्डा, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य सांसद उपस्थित थे। सभी ने मिलकर संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया।
संविधान दिवस पर मैंने देशभर के अपने परिवारजनों के नाम एक पत्र लिखा है। इसमें हमारे संविधान की महानता, जीवन में मौलिक कर्तव्यों का महत्त्व और हमें पहली बार मतदाता बनने का उत्सव क्यों मनाना चाहिए, ऐसे कई विषयों पर अपने विचार साझा किए हैं…https://t.co/6SsfdWIUsO
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2025
उप राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने देशवासियों को संविधान दिवस की दीं शुभकामनाएं
वहीं, उप राष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा कि 26 नवम्बर, 1949 को आजाद भारत की संविधान सभा ने हमारे पवित्र संविधान को अपनाया था। उन्होंने सभी भारतवासियों को संविधान दिवस की शुभकामनाएं दीं और बताया कि 2015 से इसे हर साल मनाया जाता है।
लाखों देशवासियों की समझ, त्याग और सपनों का परिणाम संविधान
सी.पी. राधाकृष्णन ने डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, के.एम. मुंशी और संविधान सभा के अन्य सदस्यों को याद किया और कहा कि संविधान हर पेज पर हमारे देश की आत्मा को दर्शाता है। संविधान का ड्राफ्ट भारत माता के बेहतरीन नेताओं ने संविधान सभा में तैयार किया। यह लाखों देशवासियों की समझ, त्याग और सपनों का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि महान विद्वानों और संविधान सभा के सदस्यों ने करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सोच-समझकर काम किया। उनके निस्वार्थ योगदान ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया। उन्होंने संविधान को समझ, अनुभव, त्याग और उम्मीदों से भरा बताया और कहा कि इसकी आत्मा ने यह साबित किया कि भारत एक है और हमेशा एक रहेगा।
लोकसभा स्पीकर बिरला ने भी संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि दी
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि उनकी दूरदर्शिता, मेहनत और समझदारी का परिणाम इतना शानदार संविधान है, जो हर नागरिक को न्याय, बराबरी और सम्मान देता है। उन्होंने बताया कि संविधान सभा का यह केंद्रीय कक्ष वह पवित्र जगह है, जहां गहरी चर्चा और सोच-विचार के बाद संविधान को आकार दिया गया।
ओम बिरला ने कहा कि संविधान के मार्गदर्शन में पिछले सात दशकों में भारत ने सामाजिक न्याय, समावेशी विकास और अच्छे शासन के लिए नीतियां बनाई हैं। संविधान दिवस हर साल 26 नवम्बर को मनाया जाता है ताकि संविधान में निहित आजादी, बराबरी, भाईचारा और न्याय के सिद्धांतों का सम्मान किया जा सके।
