1. Home
  2. हिन्दी
  3. राष्ट्रीय
  4. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बाल विवाह को अमान्य घोषित करने वाले हरियाणा के कानून को दी मंजूरी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बाल विवाह को अमान्य घोषित करने वाले हरियाणा के कानून को दी मंजूरी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बाल विवाह को अमान्य घोषित करने वाले हरियाणा के कानून को दी मंजूरी

0
Social Share

नई दिल्ली, 28 सितम्बर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बाल विवाह को पूरी तरह निषेध करने वाले हरियाणा के कानून को अपनी मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही राज्य में अब 15 से 18 वर्ष की आयु के लड़के तथा लड़की के बीच वैवाहिक संबंध पूर्ण रूप से अवैध माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद बाल विवाह प्रतिषेध (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2020 लाया गया था।

हरियाणा में बाल विवाह अब पूरी तरह निषेध

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘तदनुसार, बाल विवाह प्रतिषेध (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2020 लाया गया था और कानून को अब राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हो गई है।’ इसके बाद, हरियाणा में बाल विवाह अब पूरी तरह निषेध होगा और नाबालिगों की शादी को उनके बालिग होने पर भी अदालत से मान्यता नहीं मिलेगी।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने घोषित किया था कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) एक्ट, 2012, एक विशेष कानून होने के नाते, भारतीय दंड संहिता, 1860 और 15 से 18 वर्ष की आयु की नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध पर लागू होता है। कोर्ट ने कहा था कि आईपीसी की धारा 375 का प्रचलित अपवाद-2 मनमाना और संविधान का उल्लंघन है।

इसके अनुासर, सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 375 के मौजूदा अपवाद-2 को अमान्य कर दिया, जिसके तहत 15 से 18 वर्ष की आयु के पुरुष और उसकी पत्नी के बीच यौन संबंध धारा 375 के तहत परिभाषित बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, लेकिन पॉक्सो एक्ट की धारा-6 के प्रावधान के तहत यह बलात्कार की परिभाषा के अंतर्गत आता है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी राज्य विधायिकाओं के लिए यह बुद्धिमानी होगी कि वे बाल विवाह को ‘शून्य’ (पूर्ण निषेध) बनाने के लिए कर्नाटक के मार्ग को अपनाएं और यह सुनिश्चित करें कि किसी नाबालिग लड़की और उसके पति के बीच यौन संबंध पॉक्सो एक्ट और आईपीसी के तहत एक दंडनीय अपराध हो।

पंजीकरण रद करने या संशोधन करने वाले कानून को भी मंजूरी

राष्ट्रपति ने इसी क्रम में जाली दस्तावेजों और प्रतिरूपण के पंजीकरण को रोकने तथा जाली दस्तावेजों के आधार पर किए गए पंजीकरण को रद करने के लिए पंजीकरण अधिनियम, 1908 में और संशोधन करने के लिए पंजीकरण (तमिलनाडु संशोधन) विधेयक, 2021 को भी अपनी मंजूरी दे दी है।

विधेयक के अधिनियमन के बाद, रजिस्ट्रार कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछ सकता है कि पंजीकरण रद क्यों नहीं किया जाना चाहिए और उत्तर पर विचार करने के बाद पंजीकरण रद कर सकता है। इसमें एक और प्रावधान है, जो रजिस्ट्रार के आदेश से असंतुष्ट किसी भी व्यक्ति को 30 दिन के भीतर महानिरीक्षक के पास अपील दायर करने की अनुमति देता है।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code