पीएम मोदी ने की मन की बात, कहा- भूपेन हजारिका के गीतों से जुड़ते हैं दुनियाभर के देश
नई दिल्ली, 28 सितंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भूपेन हजारिका के गीतों से दुनियाभर के अलग-अलग देश आपस में जुड़ते हैं क्योंकि कला की सुगंध सभी सीमाओं को पारकर लोगों के मन को छूती है। पीएम मोदी ने अपने मासिक रेडियो प्रसारण कार्यक्रम मन की बात में कहा कि ”कला, साहित्य और संस्कृति की सबसे खास बात होती है कि ये किसी एक दायरे में बंधी नहीं होती।
इनकी सुगंध सभी सीमाओं को पारकर लोगों के मन को छूती है। हाल ही में पेरिस के एक सांस्कृतिक संस्थान “सौन्त्ख मंडपा” ने अपने 50 वर्ष पूरे किये हैं। इस संस्थान ने भारतीय नृत्य को लोकप्रिय बनाने में अपना व्यापक योगदान दिया है। इसकी स्थापना मिलेना सालविनी ने की थी। उन्हें कुछ वर्ष पहले पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
मैं “सौन्त्ख मंडपा” से जुड़े सभी लोगों को बहुत बधाई देता हूं और भविष्य के प्रयासों के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने दो ऑडियो क्लिप सुनाते हुए कहा कि ये आवाज इस बात की साक्षी है कि कैसे भूपेन हजारिका के गीतों से दुनियाभर के अलग-अलग देश आपस में जुड़ते हैं। दरअसल श्रीलंका में एक बेहद ही सराहनीय प्रयास हुआ है। इसमें भूपेन दा के प्रतिष्ठित गीत ‘मनुहे-मनुहार बाबे’ इसका श्रीलंकाई कलाकारों ने सिंहली और तमिल में अनुवाद किया है।
मैंने आपको इन्हीं को ऑडियो में सुनाया है। कुछ दिनों पहले मुझे असम में उनके जन्म-शताब्दी समारोह में शामिल होने का सौभाग्य मिला था। यह वास्तव में एक बहुत ही यादगार कार्यक्रम रहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि असम आज जहां भूपेन हजारिका जी की जन्म-शताब्दी मना रहा है, वहीं कुछ दिनों पहले एक दुखद समय भी आया है। जुबीन गर्ग के असामयिक निधन से लोग शोक में हैं। जुबीन गर्ग एक मशहूर गायक थे, जिन्होंने देशभर में अपनी पहचान बनाई।
असम की संस्कृति से उनका बहुत गहरा लगाव था। जुबीन गर्ग हमारी यादों में हमेशा बने रहेंगे और उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा। उन्होंने कहा कुछ दिन पहले हमारे देश ने एक महान विचारक और चिंतक एस. एल. भैरप्पा को भी खो दिया है। मेरा भैरप्पा जी से व्यक्तिगत संपर्क भी रहा और हमारे बीच कई मौकों पर अलग-अलग विषयों पर गहन बातचीत भी हुई।
उनकी रचनाएं युवा पीढ़ी के विचारों को दिशा देती रहेंगी। कन्नड़ की उनकी बहुत सारी रचनाओं का अनुवाद भी उपलब्ध है। उन्होंने हमें बताया कि अपनी जड़ों और संस्कृति पर गर्व करना कितना मायने रखता है। मैं एस. एल. भैरप्पा जी को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और युवाओं से उनकी रचनाएं पढ़ने का आग्रह करता हूँ।
मोदी ने स्वदेशी चीजों से त्योहारों को खास बनाने की अपील की
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से स्वदेशी वस्तुओं की खरीदारी करने की अपील करते हुए रविवार को कहा कि ‘वोकल फोर लोकल’ को खरीदारी का मंत्र बना कर आने वाले त्योहारों को और भी खास बनाया जा सकता है।
मोदी ने अपने मासिक रेडियो प्रसारण कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा, ”एक संकल्प लेकर आप अपने त्योहारों को और खास बना सकते हैं। अगर हम ठान लें कि इस बार त्योहार सिर्फ स्वदेशी चीजों से ही मनाएंगे, तो देखिएगा, हमारे उत्सव की रौनक कई गुना बढ़ जाएगी। ‘वोकल फोर लोकल’ को खरीदारी का मंत्र बना दीजिए। ठान लीजिए, हमेशा के लिए, जो देश में तैयार हुआ है, वही खरीदेंगे। जिसे देश के लोगों ने बनाया है, वही घर ले जाएंगे। जिसमें देश के किसी नागरिक की मेहनत है, उसी सामान का उपयोग करेंगे। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम सिर्फ कोई सामान नहीं खरीदते, हम किसी परिवार की उम्मीद घर लाते हैं, किसी कारीगर की मेहनत को सम्मान देते हैं, किसी युवा उद्यमी के सपनों को पंख देते हैं।” उन्होंने कहा ”त्योहारों पर हम सब अपने घर की सफाई में जुट जाते हैं लेकिन स्वच्छता सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित न रहे। गली, मोहल्ला, बाजार, गांव हर जगह पर सफाई हमारी जिम्मेदारी बने।”
प्रधानमंत्री ने कहा ”हमारे यहां यह पूरा समय ‘उत्सवों का समय’ रहता है और दीवाली एक प्रकार से महा-उत्सव बन जाता है’ मैं आप सबको आने वाली दीपावली की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ लेकिन साथ-साथ फिर से दोहराऊँगा हमें आत्मनिर्भर बनना है, देश को आत्मनिर्भर बनाकर के ही रहना है और उसका रास्ता स्वदेशी से ही आगे बढ़ता है।”
महर्षि वाल्मीकि ने मानवता को रामायण जैसा अद्भुत ग्रंथ दिया – मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महर्षि वाल्मीकि को भारतीय संस्कृति के बड़ा आधार बताते हुए रविवार को कहा कि उन्होंने ही हमें भगवान राम की अवतार कथाओं से इतने विस्तार से परिचित करवाया। मोदी ने अपने मासिक रेडियो प्रसारण कार्यक्रम मन की बात में कहा, ”अगले महीने सात अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती है। हम सब जानते हैं, महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के कितने बड़े आधार हैं। ये महर्षि वाल्मीकि ही थे, जिन्होंने हमें भगवान राम की अवतार कथाओं से इतने विस्तार से परिचित करवाया था।
उन्होंने मानवता को रामायण जैसा अद्भुत ग्रंथ दिया। उन्होंने कहा रामायण का ये प्रभाव उसमें समाहित भगवान राम के आदर्शों और मूल्यों के कारण है। भगवान राम ने सेवा, समरसता और करुणा से सबको गले लगाया था। इसीलिए हम देखते हैं, महर्षि वाल्मीकि की रामायण के राम, माता शबरी और निषादराज के साथ ही पूर्ण होते हैं।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में जब राम मंदिर का निर्माण हुआ तो साथ में निषादराज और महर्षि वाल्मीकि का भी मंदिर बनाया गया है। मेरा आपसे आग्रह है, आप भी जब अयोध्या में रामलला के दर्शन करने जाएं, तो महर्षि वाल्मीकि और निषादराज मंदिर के दर्शन जरूर करें।
